नेपाल में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) के एक बयान को लेकर बवाल मचा है. केपी ओली ने कहा है कि नेपाल सरकार भारत की सहायता से चीन की सीमा से लगे मस्टैंग जिले में एक बौद्ध यूनिवर्सिटी की स्थापना करा रही है. नेपाल सरकार ने ओपी के इस दावे का खंडन किया है. एक विज्ञप्ति जारी करते हुए नेपाल सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व पीएम ओली द्वारा लगाए गए आरोप झूठे है. हम इस बात से इनकार करते हैं कि सरकार ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के करीब एक बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कोई अनुमति दी है.
यूनिवर्सिटी की अनुमति का दावा भ्रमपूर्ण
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रेखा शर्मा ने एक विज्ञप्ति में कहा, “सरकार की ओर से मस्टैंग के बारागंग मुक्तिक्षेत्र ग्राम परिषद में एक यूनिवर्सिटी की अनुमति देने का दावा भ्रमपूर्ण है. हम यह भी घोषणा करते हैं कि नेपाल सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है.” सरकार के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि पूर्व पीएम ओली की ओप ले उठाए गए इस मामले की जांच की जाएगी.
चीन हमारा मित्र राष्ट्र- केपी ओली
ओली ने आरोप लगाया था, “विदेशियों को रिझाने के लिए मस्टैंग में एक बौद्ध कॉलेज की स्थापना करना हमारी राष्ट्रीयता पर हमला है और चीन के साथ विश्वासघात है, जो हमारा मित्र राष्ट्र है.” आगे ओली ने सवाल किया, ‘आपको ऐसी जगह बौद्ध कॉलेज की जरूरत क्यों है जहां कोई नहीं रहता?'
क्या है विवाद की वजह?
दरअसल, स्थानीय मीडिया ने एक रिपोर्ट में दावा किया था नेपाल सरकार ने भारत को तिब्बत और चीन की सीमा से लगे मस्टैंग के प्रतिबंधित क्षेत्र में एक बौद्ध कॉलेज स्थापित करने की अनुमति दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने इस कॉलेज को स्थापित करने के लिए 700 मिलियन से ज्यादा खर्च करने की योजना बनाई है.
योजना देश की संप्रभुता पर हमला
ओली ने दावा किया था कि सरकार भारत को उस क्षेत्र में एक बौद्ध विश्वविद्यालय स्थापित करने की अनुमति देने की योजना बना रही है, जहां 20वीं सदी में खंपा विद्रोही तिब्बत से भागकर बस गए थे. देश को विदेशियों के खेल के मैदान में बदलने के लिए सरकार भारत को मस्टैंग में एक बौद्ध कॉलेज खोलने की अनुमति दे रही है. यह योजना देश की संप्रभुता पर हमला है.
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