
- सऊदी अरब के अल-उला रेगिस्तान में स्थित फिश रॉक नामक विशाल चट्टान मछली के आकार जैसी दिखती है.
- फिश रॉक की लंबाई लगभग दो फुटबॉल मैदान जितनी, यानी करीब दो सौ मीटर तक फैली हुई है.
- पुरातत्वविदों के अनुसार यह चट्टान प्राचीन नदियों के कटाव के कारण अपनी अनोखी आकृति में विकसित हुई है.
रेगिस्तान और मछली, यह दो शब्द एक ही वाक्य में इस्तेमाल किए जाएं, ऐसा शायद ही आपने सुना होगा. लेकिन सऊदी अरब के अल-उला रेगिस्तान की जब बात की जाती है तो एक ‘मछली' का जिक्र आता है… दरअसल सऊदी अरब के इस रेत के समंदर में कुछ ऐसा नजारा देखने को मिलता है कि कुछ वक्त के लिए दिमाग खुद से सवाल करने लगता है. यहां सुनहरे रेत के बीच एक ऐसा चट्टान है जिसे देखकर लगता है मानों सच में कोई विशाल मछली रेगिस्तान में आराम कर रही हो.
इस चट्टान का नाम भी मछली के उपर ही रखा गया है. इसका नाम है फिश रॉक. यह अल-उला गवर्नरेट के वादी अल-फैन में के सबसे आकर्षक प्राकृतिक दृश्यों में से एक है. आप इस ‘मछली' को छोटा-मोटा मत समझिए. यह चट्टान 200 मीटर तक फैला है, यानी लगभग 2 फुटबॉल के मैदान जितना लंबा.
आखिर रेगिस्तान में मछली कैसे बनी?
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि रॉयल कमीशन फॉर अल-उला के अनुसार, पुरातत्वविदों का मानना है कि इस चट्टान को यह अनोखा आकार प्राचीन नदियों से हुए कटाव के कारण मिला है. लगभग 500 मिलियन वर्ष पहले नदियों ने इस चट्टान को काट-काट कर इसके रेत को सुपरकॉन्टिनेंट गोंडवाना के किनारों तक पहुंचा दिया.
आपको यहां सिर्फ चट्टानी मछली ही नहीं मिलेगी. यह पिछले वर्षों में खोजी गई चट्टानों में हाथी चट्टान, फेस चट्टान, आर्क चट्टान, मशरूम चट्टानें और डांसिंग चट्टानें शामिल हैं. फेस रॉक उत्तर-पश्चिमी अलउला घाटी में नबातियों के एक प्राचीन शहर हेगरा में पाया जाता है. रग्गासैट घाटी में डांस चट्टाने हैं और उनका नाम ऐसा इसलिए रखा गया है क्योंकि वे एक साथ लहराती हुई दिखाई देती हैं. उसी तरह अल-उला के रेगिस्तान में मशरूम के आकार की कई चट्टानें पाई जा सकती हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध नेचर रिजर्व में स्थित है.
रिपोर्ट के अनुसार अल-उला शहर के केंद्र से कुछ ही दूरी पर रेनबो चट्टान पाई जाती है, जो दो बादलों से घिरे इंद्रधनुष जैसा दिखता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं