संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार और उसके बाद स्थायी सदस्यता के लिए भारत की मुहिम को ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों सहित संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्यों से मजबूत समर्थन मिला है. इन देशों ने इस बात पर जोर दिया कि विश्व संस्था की शीर्ष इकाई को निश्चित तौर पर ऐसा होना चाहिए जो नई वैश्विक शक्तियों को प्रतिबिंबित करे.
संयुक्त राष्ट्र में पिछले हफ्ते आयोजित आम सभा के सत्र के दौरान 15 सदस्यीय यूएनएससी के सुधार पर 50 से अधिक वक्ताओं ने अपने सुझाव, दृष्टिकोण और चिंताएं साझा कीं. संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर पोस्ट की गई 7 नवंबर की बैठक के सार-संकलन के अनुसार, 'कई सदस्यों ने ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान जैसी उभरती शक्तियों के प्रतिनिधित्व का समर्थन किया, जबकि कुछ ने सुरक्षा परिषद सुधार प्रक्रिया के जरिये हाल के वर्षों में हुई प्रगति को रेखांकित किया, अन्य ने गहरी निराशा व्यक्त करते हुए यह आवाज उठाई कि इससे अधिक अब तक नहीं पाया गया.'
ब्रिटेन एवं फ्रांस सहित अधिकतर देशों ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया और ब्राजील तथा जर्मनी जैसी अन्य उभरती शक्तियां भी वीटो शक्ति वाली परिषद की स्थायी सदस्यता के दावेदार थे.
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत मैथ्यू रिक्रॉफ्ट ने सत्र के दौरान कहा कि ब्रिटेन का मानना है कि स्थायी और अस्थायी वर्गों में कुछ सुधार हो और अन्य देशों को भी इस दृष्टिकोण का समर्थन करना चाहिए. सदस्यों की संख्या इस तरीके से बढ़नी चाहिए कि प्रभावशीलता के साथ प्रतिनिधित्व संतुलन हो. रिक्रॉफ्ट ने इस बात को दोहराया कि उनका देश स्थायी सदस्यता के लिए ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान का समर्थन करता है इसके अलावा स्थायी अफ्रीकी प्रतिनिधित्व का भी समर्थन करता है.
पिछले हफ्ते ब्रितानी प्रधानमंत्री टेरीजा मे की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए रिक्रॉफ्ट ने कहा कि उन्होंने 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की.' प्रधानमंत्री का कार्यकाल संभालने के बाद यूरोप के बाहर टेरीजा की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा थी.
वहीं फ्रांस के उप स्थायी प्रतिनिधि एलेक्सिस लामेक ने कहा कि उनका देश नई विश्व शक्तियों को उभरते हुए देखना चाहता है और इसके लिए उनका देश जर्मनी, ब्राजील, भारत और जापान की उम्मीदवारी और स्थायी एवं अस्थायी सदस्यता में अफ्रीकी देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ते देखना चाहता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
संयुक्त राष्ट्र में पिछले हफ्ते आयोजित आम सभा के सत्र के दौरान 15 सदस्यीय यूएनएससी के सुधार पर 50 से अधिक वक्ताओं ने अपने सुझाव, दृष्टिकोण और चिंताएं साझा कीं. संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर पोस्ट की गई 7 नवंबर की बैठक के सार-संकलन के अनुसार, 'कई सदस्यों ने ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान जैसी उभरती शक्तियों के प्रतिनिधित्व का समर्थन किया, जबकि कुछ ने सुरक्षा परिषद सुधार प्रक्रिया के जरिये हाल के वर्षों में हुई प्रगति को रेखांकित किया, अन्य ने गहरी निराशा व्यक्त करते हुए यह आवाज उठाई कि इससे अधिक अब तक नहीं पाया गया.'
ब्रिटेन एवं फ्रांस सहित अधिकतर देशों ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया और ब्राजील तथा जर्मनी जैसी अन्य उभरती शक्तियां भी वीटो शक्ति वाली परिषद की स्थायी सदस्यता के दावेदार थे.
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत मैथ्यू रिक्रॉफ्ट ने सत्र के दौरान कहा कि ब्रिटेन का मानना है कि स्थायी और अस्थायी वर्गों में कुछ सुधार हो और अन्य देशों को भी इस दृष्टिकोण का समर्थन करना चाहिए. सदस्यों की संख्या इस तरीके से बढ़नी चाहिए कि प्रभावशीलता के साथ प्रतिनिधित्व संतुलन हो. रिक्रॉफ्ट ने इस बात को दोहराया कि उनका देश स्थायी सदस्यता के लिए ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान का समर्थन करता है इसके अलावा स्थायी अफ्रीकी प्रतिनिधित्व का भी समर्थन करता है.
पिछले हफ्ते ब्रितानी प्रधानमंत्री टेरीजा मे की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए रिक्रॉफ्ट ने कहा कि उन्होंने 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की.' प्रधानमंत्री का कार्यकाल संभालने के बाद यूरोप के बाहर टेरीजा की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा थी.
वहीं फ्रांस के उप स्थायी प्रतिनिधि एलेक्सिस लामेक ने कहा कि उनका देश नई विश्व शक्तियों को उभरते हुए देखना चाहता है और इसके लिए उनका देश जर्मनी, ब्राजील, भारत और जापान की उम्मीदवारी और स्थायी एवं अस्थायी सदस्यता में अफ्रीकी देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ते देखना चाहता है.
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