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खालिदा के निधन के बाद BNP के सर्वेसर्वा बने बेटे तारिक, चुनाव में सामने होगी जमात की कट्टरपंथ वाली चुनौती

Khaleda Zia passes away: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधान मंत्री और BNP अध्यक्ष खालिदा जिया का 30 दिसंबर को निधन हो गया. अब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के सर्वेसर्वा उनके बेटे तारिक रहमान बन गए हैं.

खालिदा के निधन के बाद BNP के सर्वेसर्वा बने बेटे तारिक, चुनाव में सामने होगी जमात की कट्टरपंथ वाली चुनौती
Khaleda Zia passes away: खालिदा जिया के निधन के बाद BNP के सर्वेसर्वा उनके बेटे तारिक रहमान बन गए हैं.
  • बांग्लादेश की पहली महिला PM खालिदा जिया के निधन के बाद BNP की पूरी बागड़ोर उनके बेटे तारिक के हाथ में आ गई है
  • तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद स्वदेश लौटे हैं और अब BNP के निर्विवाद नेता बन गए हैं
  • खालिदा जिया का निधन 80 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद ढाका के एवरकेयर अस्पताल में हुआ है
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बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया के निधन के बाद अब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की बागड़ोर पूरी तरह उनके बेटे तारिक रहमान के हाथों में आ चुकी है. NDTV के साथ एक्सक्लूसिव फोन कॉल में बांग्लादेश के पूर्व वाणिज्य मंत्री अमीर खासरू महमूद चौधरी ने कहा कि खालिदा जिया के जाने के बाद अब तारिक रहमान पार्टी के निर्विवाद नेता बन गए हैं. महमूद चौधरी बांग्लादेश के एक प्रमुख राजनेता हैं, जो BNP के स्थायी समिति के सदस्य और पूर्व वाणिज्य मंत्री (2001-2004) रह चुके हैं. वह चटगाँव के एक राजनीतिक परिवार से हैं और बांग्लादेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हैं.

बता दें कि खालिदा जिया की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके बड़े बेटे, तारिक रहमान, 17 साल के निर्वासन के बाद स्वेदश लौट चुके हैं. माना जा रहा है कि बांग्लादेश में आम चुनावों के बाद वह अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं. तारिक अभी तक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष थे और उनकी घर वापसी ने BNP में एक नए जोश और उत्साह को जन्म दिया है. अब मां के निधन के बाद वो पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले हैं. तारिक रहमान खुद दो सीटों से चुनावी मैदान में उतरे हैं. तारिक रहमान दो सीटों-बोगुरा-6 और ढाका-17 से चुनाव लड़ेंगे.

हालांकि उनके सामने जमात-ए-इस्लामी की कट्टरपंथी राजनीति चुनौती बनकर खड़ी है. तारिक रहमान लंदन से लौटने के बाद बांग्लादेश में शांति की बात कर रहे हैं लेकिन जमात पिछले एक साल (हसीना के तख्तापलट के बाद से) से वहां नफरत की राजनीतिक कर रही है, उसे फैला रही है. हसीना की सरकार गिराने के बाद बांग्लादेश में युवाओं का झुकाव कट्टरपंथी जमात की तरफ देखने को मिला है. हसीना की सरकार गिराने में छात्र आंदोलन का भी बड़ा योगदान रहा है. देश के आंदोलनकारी युवाओं ने मिलकर नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) बनाई और इस पार्टी ने जमात से हाथ मिला लिया है. इन सबके बीच इकबाल मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने कट्टरपंथी विचारधारा को और मजबूती दी है.

लंबी बीमारी के बाद 80 साल की उम्र में खालिदा जिया का निधन 

BNP की ओर से जारी बयान के अनुसार, सुबह करीब 6 बजे ढाका के एवरकेयर अस्पताल में खालिदा जिया का निधन हुआ. पिछले एक महीने से ज्यादा समय से इसी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. बयान में कहा गया कि BNP चेयरपर्सन और पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय नेता बेगम खालिदा जिया का आज सुबह 6 बजे की नमाज के ठीक बाद निधन हो गया.

पार्टी नेताओं और समर्थकों ने उनकी मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें एक बड़ी राजनीतिक हस्ती के तौर पर याद किया, जिन्होंने बांग्लादेश के आधुनिक राजनीतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाई थी. पार्टी ने कहा, "हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और सभी से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का अनुरोध करते हैं."

खालिदा जिया को 23 नवंबर को दिल और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के बाद एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने आखिरी हफ्तों में वह निमोनिया से भी पीड़ित थीं. वह 36 दिनों तक मेडिकल निगरानी में रहीं और उनकी हालत नाजुक बताई गई थी.

पिछले कुछ सालों में पूर्व प्रधानमंत्री कई पुरानी बीमारियों से जूझ रही थीं, जिनमें लिवर सिरोसिस, डायबिटीज, गठिया और किडनी, फेफड़े, दिल और आंखों से जुड़ी पुरानी समस्याएं शामिल थीं. उनके इलाज की देखरेख एक मल्टीडिसिप्लिनरी मेडिकल टीम कर रही थी, जिसमें बांग्लादेश के विशेषज्ञों के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर भी शामिल थे.

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