वाशिंगटन:
अमेरिकी सीनेटर जॉन केरी ने कहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा न केवल भारत पर दोबारा हमला कर सकता है, बल्कि अमेरिका के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। लश्कर पर 26 नवम्बर, 2008 के मुम्बई हमले का आरोप है। सीनेट की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष केरी ने मंगलवार को समिति की एक सुनवाई के दौरान कहा, "लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद हमले जारी रखेंगे, जिसके कारण भारत व पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध का खतरा पैदा हो सकता है।" लश्कर से पैदा हुए खतरे को रेखांकित करते हुए केरी ने कहा कि "2008 के मुम्बई हमले के लिए जिम्मेदार यह संगठन भारत के खिलाफ एक और हमले के जरिए क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने में सक्षम है।" केरी ने अफगानिस्तान व पाकिस्तान में अलकायदा, तालिबान और अन्य चरमपंथी संगठनों पर सुनवाई के दौरान यह भी कहा, "पाकिस्तान भर में लश्कर के सदस्यों और प्रशिक्षण शिविरों की उपस्थिति के जरिए यह संगठन अमेरिकी धरती पर भी खतरा पैदा कर सकता है।" समिति में प्रमुख रिपब्लिकन, रिचर्ड लूगर ने कहा कि ओसामा बिन लादेन की मौत के बावजूद अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठन पाकिस्तान में मजबूत उपस्थिति रखते हैं। लूगर ने कहा कि इसमें कोई संशय नहीं कि इन संगठनों का खतरा, राष्ट्र के धराशायी होने, भारत-पाकिस्तान युद्ध, पाकिस्तानी परमाणु शस्त्रागारों की सुरक्षा और पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति सम्बंधी चिंताएं मिलकर इसे रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण देश बना देता है। समिति के समक्ष अपनी गवाही में जार्जटाउन युनिवर्सिटी के सेंटर फॉर पीस एंड सिक्युरिटी स्टडीज में सहायक प्रोफेसर, क्रिस्टीन फेयर ने कहा कि लश्कर को पाकिस्तान ने भारत और अफगानिस्तान में गतिविधियां चलाने के लिए खड़ा किया है और पाला-पोसा है। क्रिस्टीन ने कहा कि पाकिस्तान ने पाकिस्तानी तालिबान और अलकायदा से सम्बंधित कुछ आतंकवादियों के खिलाफ भले ही कार्रवाई की है, लेकिन उसने लश्कर के खिलाफ केवल सतही और दिखावे की कार्रवाई की है। 'न्यू अमेरिका फाउंडेशन' में नेशनल सिक्युरिटी स्टडीज कार्यक्रम के निदेशक पीटर बर्जेन ने कहा कि हक्कानी नेटवर्क अलकायदा की हिफाजत कर रहा है।