इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को उसके विमानों के लिए ओमान द्वारा अपना हवाई क्षेत्र खोले जाने का स्वागत करते हुए इसे विमानन उद्योग के लिए ‘महान दिन' करार दिया. उन्होंने कहा कि इससे भारत तक सीधे उड़ानों का परिचालन हो सकेगा. इजराइल को एशिया व यूरोप के बीच प्रमुख पारगमन बिन्दु बनाने में मदद मिलेगी.
ओमान द्वारा इजराइली विमानों को अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल करने की अनुमति देने के बाद नेतन्याहू ने कहा, ‘‘ दूर पूर्व बहुत दूर नहीं है और आसमान की कोई सीमा नहीं है.''इजराइली प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ यह इजराइली उड्डयन क्षेत्र के लिए बड़ी खबर का दिन है. इजराइल पर इसका प्रभाव यह होगा कि वह एशिया और यूरोप के बीच मुख्य पारगमन बन जाएगा.''
सऊदी अरब ने पहले ही इजराइली विमानों को अपना हवाई क्षेत्र इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी थी. इजराइली नेता ने कहा कि वह वर्ष 2018 में अपनी ओमान यात्रा के समय से ही इजराइली विमानों को उसके हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति लेने के लिए काम कर रहे थे, ताकि भारत और उसके आगे ऑस्ट्रेलिया तक सीधे विमानों की आवाजाही हो सके.''
ओमान और इजराइल के बीच अबतक कूटनीतिक संबंध नहीं है. नेतन्याहू ने जोर देकर कहा, ‘‘ काफी कोशिश के बाद, आज यह उपलब्धि हासिल हुई है. यह अच्छी खबर है, इजराइल की पूर्व तक के रास्ते अभूतपूर्व तरीके से खुले हैं.''
अब तक इजराइली विमानों को पूर्वी एशिया, भारत और थाईलैंड आने के लिए दक्षिण की ओर जाना पड़ता था, ताकि अरब प्रायद्वीप से बच सके. इसकी वजह से करीब ढाई घंटे अतिरिक्त समय लगता था और कीमती ईंधन की बर्बादी होती थी. ओमान की घोषणा से इजराइली विमान भारत और थाईलैंड जैसे लोकप्रिय स्थानों की उड़ानों में ढाई घंटे तक समय की बचत कर सकेंगे.
इस घटनाक्रम से टिकटों की कीमत कम होने की संभावना है. साथ ही विमानन कंपनियां भी ईंधन मद में होने वाले खर्च में कमी कर सकेंगी. एअर इंडिया के विमान सऊदी अरब और ओमान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल कर दिल्ली से सीधे तेल अवीव के लिए उड़ान भरते हैं, जिससे उसकी उड़ानी सस्ती हैं.
पिछले साल सऊदी अरब ने इजराइली विमानों को अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति दे दी थी, लेकिन ओमान का हवाई क्षेत्र बंद होने की वजह से इजराइली विमानन कंपनियां इस रास्ते का इस्तेमाल एशिया जाने के लिए नहीं कर पाते थे. सऊदी अरब ने इजराइल के लिए अपना हवाई क्षेत्र खोलने का फैसला पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की जेद्दा यात्रा के बाद लिया था.
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