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नई दिल्ली: इजरायल और हमास के बीच बीते दो सप्ताह से ज्यादा समय से युद्ध जारी है. लेकिन बीते कुछ दिनों में इजरायल ने गाजा पट्टी पर अपने हमलों को और तेज किया है. इजरायल फिलहाल हमास के ठिकानों और उनके आतंकियों को अपना निशाना बना रहा है. इन हमलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र यानी UN ने इजरायल से युद्ध के नियमों को पालन करने की अपील की थी. लेकिन अब इन सब के बीच बुधवार को इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रमुख से उनका इस्तीफा मांगा है. इजरायल ने UN प्रमुख के उस बयान को लेकर इस्तीफा मांगा है जिसमें उन्होंने गाजा पट्टी पर इजरायल के हमले को गलत बताया था.
बता दें कि UN प्रमुख गुटेरेस ने इजरायल का नाम लिए बगैर कुछ दिन पहले कहा था कि मैं अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के स्पष्ट उल्लंघन के बारे में बहुत चिंतित हूं जो हम गाजा में देख रहे हैं. मैं स्पष्ट कर दूं, सशस्त्र संघर्ष में कोई भी पक्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून से ऊपर नहीं है. गुटेरेस ने यह भी कहा कि हमास का हमला ऐसे ही नहीं हुआ क्योंकि फिलिस्तीनियों को बीते 56 वर्षों के कब्जे का सामना करना पड़ा है.
गुटेरेस की टिप्पणी ने इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन को क्रोधित कर दिया. उन्होंने गुटेरेस पर सवाल खड़े किए. साथ ही उन्होंने कहा कि हमास ने जो हमला किया था वो इजरायल के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था. उन्होंने कहा कि गुटेरेस आप किस दुनिया में रहते हैं. गौरतलब है कि UN प्रमुख के इस्तीफे की मांग के बीच इजरायल के पीएम नेतन्याहू ने हमास पर हमलों के बीच अपने कमांडरों से भी मुलाकात की. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, इन हमलों के बाद इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Israeli PM Benjamin Netanyahu) ने बढ़ते संघर्ष का आकलन करने के लिए अपने शीर्ष जनरलों और अपने युद्ध मंत्रिमंडल की एक बैठक बुलाई.
शरणार्थी शिविर के पास एक घर पर हमला...
फ़िलिस्तीनी मीडिया ने भी इज़रायल के हमलों की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि इज़राइल के हमले गाजा पट्टी के मध्य और उत्तरी क्षेत्र पर केंद्रित थे. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उत्तरी गाजा में जबालिया शरणार्थी शिविर के पास एक घर पर हमले में कई फिलिस्तीनियों की मौत हो गई और अन्य घायल हो गए. गाजा में स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इजरायल की दो सप्ताह की बमबारी में कम से कम 4,600 लोग मारे गए थे, जो 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायली समुदायों पर हमास के हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें 1,400 लोग मारे गए थे और 212 को बंधकों के रूप में गाजा में ले जाया गया था.