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पश्चिम एशिया में युद्ध तय? इजरायल को कैसे घेर रहा ईरान? रूस ने भेजे हथियार तो फ्रांस-US हुए एक्टिव

इजरायल-ईरान के बीच बढ़ता तनाव दुनिया के ताकतवर देशों को आमने-सामने ला सकता है. रूस का ईरान का साथ देने के बाद इसकी आशंका और गहरी हो गई है. जानें कैसे बढ़ रहा तनाव...

ईरान लगातार इजरायल को घेर रहा है और कई ताकतवर देश अब इस तनाव को लेकर सतर्क हो गए हैं.

हर बीतते दिन के साथ पश्चिम एशिया भीषण युद्ध की आग की ओर बढ़ता जा रहा है. रविवार को हिज्बुल्लाह ने लेबनान से इजरायल के उत्तरी इलाके पर फिर रॉकेटों से हमला किया तो इजरायल के दक्षिण इलाके के शहर एश्केलॉन और अशदोद पर गाजा पट्टी की तरफ से हमला किया गया. इसके पीछे फिलिस्तीन रेसिस्टेंस का हाथ बताया गया. हालांकि, इन हमलों को इजरायल के आयरन डोम मिसाइलों ने नाकाम कर दिया, लेकिन ये पैटर्न बता रहा है कि कैसे इजरायल पर एक साथ अलग-अलग मोर्चों से हमले की कोशिश हो रही है. तेल अवीव में चाकूबाजी की वारदात हुई, जिसमें एक महिला की मौत हो गई और तीन घायल हुए. हमलावर को मार दिया गया. बताया गया कि वह वेस्ट बैंक से आया था.

दुनिया में बढ़ रहा तनाव

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कुल मिला कर ईरान के प्रॉक्सीज इजराइल को हर तरफ से इंगेज करने की कोशिश में हैं. ईरान के स्थानीय मीडिया के मुताबिक, ईरान की मंशा भी यही है कि हूती, हिज्बुल्लाह और हमास सभी इजरायल के भीतरी इलाकों तक हमला करें. हमला सिर्फ सैन्य ठिकानों पर ही नहीं, बल्कि कहीं भी हो, जहां इजरायल को चोट पहुंचे. दूसरी तरफ इजरायल भी जवाबी हमले कर रहा है. उसने सीरिया लेबनान सीमा पर हमला किया, जिसमें एक हिज्बुल्लाह लड़ाके की मौत हुई. एक ट्रक को भी निशाना बनाया गया. इजरायल की कोशिश है कि हिज्बुल्लाह तक किसी भी तरह से हथियारों की मदद न पहुंचे. उधर, ईरान में रूसी सैन्य मालवाहक विमानों के पहुंचने की भी खबर बार-बार आ रही है. कहा जा रहा है कि रूस ईरान को हथियारों की बड़ी खेप भेज रहा है.

जॉर्डन क्या चाहता है?

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इस बीच ईरान जवाबी कार्रवाई न करने की किसी भी अनुरोध को सुनने को तैयार नहीं है. अमेरिका सैन्य तैयारियों के साथ-साथ कूटनीतिक तौर पर भी जवाबी कार्रवाई रोकना चाहता है, लेकिन तेहरान किसी की नहीं सुन रहा. लिहाजा जॉर्डन के विदेश मंत्री आयमान सफादी रविवार को तेहरान पहुंचे. जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफादी ने रविवार को ईरान के अधिकारियों के साथ बातचीत की. जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सफादी "क्षेत्र की स्थिति और द्विपक्षीय संबंधों" पर ईरानी राष्ट्रपति को किंग अब्दुल्ला द्वितीय का संदेश देंगे. इस बीच, अम्मान में शाही अदालत ने कहा कि किंग अब्दुल्ला को फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन का फोन आया था "जिसमें क्षेत्र की खतरनाक स्थिति के बारे में बताया गया था." एक बयान में कहा गया, किंग ने "व्यापक शांति तक पहुंचने और संघर्ष के क्षेत्रीय विस्तार को रोकने के लिए आगे के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों" की अपील की. हानिया की हत्या के बाद से ईरान ने जॉर्डन, मिस्र, ओमान और कतर सहित कई अरब देशों के साथ बातचीत की है. 

फ्रांस सतर्क, अमेरिका भिड़ने को तैयार

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वहीं, फ्रांस ने रविवार को ईरान में रहने वाले नागरिकों से आग्रह किया कि यदि वे संभव हो तो "अस्थायी रूप से चले जाएं", और चेतावनी दी कि मध्य पूर्व में संघर्ष की आशंका के कारण ईरानी हवाई क्षेत्र और हवाई अड्डों को बंद किया जा सकता है. एएफपी के अनुसार, फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा, "सैन्य वृद्धि के बढ़ते जोखिम के कारण और ईरानी हवाई क्षेत्र और हवाई अड्डों के बंद होने के जोखिम को देखते हुए, यह सिफारिश की जाती है कि उन फ्रांसीसी निवासियों को अस्थायी रूप से देश छोड़ देना चाहिए, जिनके पास ऐसा करने का साधन हैं." फ्रांस ने इससे पहले रविवार को इजरायल के उत्तर में लेबनान में अपने नागरिकों से "जितनी जल्दी हो सके" देश छोड़ने का आह्वान किया था. संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा है कि वह अमेरिकी कर्मियों की सुरक्षा और इजरायल की रक्षा के लिए युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को मध्य पूर्व में ले जा रहा है. ईरान ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि हिजबुल्लाह इजरायल के अंदर तक हमला करेगा और अब सैन्य लक्ष्यों तक ही सीमित नहीं रहेगा. 

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