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इजरायल पर दागी ईरान की मिसाइल आसमां में क्यों बनी 'मछली'? वायरल वीडियो के पीछे का साइंस समझिए

Iran-Israel War: सोशल मीडिया पर कई वीडियो और फोटो तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसमें इजरायल के आसमां के उपर उड़ती मिसाइल मछली की आकृति नजर आ रही है. आखिर यह है क्या?

इजरायल पर दागी ईरान की मिसाइल आसमां में क्यों बनी 'मछली'? वायरल वीडियो के पीछे का साइंस समझिए
Israel vs Iran: इजरायल पर दागी ईरान की मिसाइल आसमां में क्यों बनी 'मछली'?
  • इजरायल और ईरान के बीच हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं.
  • जंग का सातवां दिन, आसमान में मिसाइलों की भरमार है. इजरायल में कई जगह मिसाइलों के साथ मछली की आकृति दिखी.
  • ईरान ने इजरायल पर हाइपरसोनिक फतह-1 मिसाइलें दागी हैं.
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इजरायल और ईरान के बीच आपसी इतिहास की सबसे तीव्र टकराव जारी है. दोनों के बीच की जंग सातवें दिन में पहुंच गई है और दोनों का आसमां गुजरती और बरसती मिसाइलों से भरा पड़ा है. इसी बीच सोशल मीडिया पर कई वीडियो और फोटो तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसमें इजरायल के आसमां के उपर उड़ती मिसाइल मछली की आकृति नजर आ रही है. लोगों में यह कौतुहल का विषय बना हुआ है और उनकी जुबान पर एक ही सवाल है कि आखिर ईरान की मिसाइलें इजरायल के आसमां में आकर मछली क्यों बन गई हैं. चलिए हम आपको बताते हैं.

ईरान ने दागी हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें

ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने बुधवार, 18 जून को दावा किया कि उसने इजरायल की राजधानी तेल अवीव पर अपनी हाइपरसोनिक फतह-1 मिसाइलें लॉन्च की हैं.

हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक गति से चलती हैं और उड़ान के बीच में पैंतरेबाजी कर सकती हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना और रोकना कठिन हो जाता है. अब जो तेल अवीव के आसमां के उपर मछली नजर आ रही है वो इन्हीं हाइपरसोनिक मिसाइलों की वजह से है.

आखिर मिसाइलें मछली जैसी क्यों दिख रही हैं?

यह जानने के लिए आपको किसी रॉकेट लॉन्च के पीछे के साइंस को समझना होगा. आपको यह आसमां में जो मछली सी आकृति नजर आ रही है इसको जेलीफिश इफैक्ट कहा जाता है. जेलीफिश इफेक्ट की घटना तब घटित होती है जब एक रॉकेट के पिछले हिस्से (एग्जॉस्ट) से निकलने वाली गैस फैलती है और इस तरह चमकती है कि आकाश में तैरती चमकदार जेलीफिश (एक तरह की मछली) जैसी दिखता है. लेकिन यह नजारा हर रॉकेट लॉन्च के दौरान नहीं दिखता है. यह अक्सर तब देखा जाता है जब भोर से पहले के घंटों के दौरान रॉकेट लॉन्च किया जाता है, जिससे ऊपरी वायुमंडल में एग्जॉस्ट गैसों को रोशन करने के लिए अंधेरे और सूरज की रोशनी का एक आदर्श मिश्रण बनता है.

जैसे ही गैस का गुबार ऊपर उठता है, उसमें जल वाष्प (वाटर वेपर) मौजूद होता है जो बर्फ के क्रिस्टल में जम जाता है, जो छोटे प्रिज्म की तरह काम करता है. जब सूरज की रोशनी को यह बिखेरता है तो यह जेलिफिश जैसा एक उज्ज्वल, चमकदार रूप बनाता है.

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