चीन (China) ने रविवार को भारत (India) के पक्ष में G7 देशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. G7 देश गेहूं के निर्यात को सीमित करने के भारत के फैसले की आलोचना कर रहे थे. चीन ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों पर दोषारोपण से वैश्विक खाद्य संकट (Global Food Crisis) का हल नहीं निकलेगा. पिछले हफ्ते भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात की नीति को संशोधित करते हुए गेहूं के निर्यात को "प्रतिबंधित" श्रेणी में डाल दिया था. यह आदेश कॉमर्स मंत्रालय की तरफ से जारी हुआ था. इसमें कहा गया था कि सरकार ने गेहूं के निर्यात पर "तुरंत प्रभाव से" प्रतिबंध लगा दिया है.
लेकिन इस रिपोर्ट के बीच आश्चर्य इस बात का है कि चीनी मीडिया दुनिया के 7 सबसे शक्तिशाली देशों के समूह (G7) की तरफ से की जा रही भारत की आलोचना के खिलाफ खड़ा हो गया. ग्लोबल टाइम्स, चीनी सरकार के मुखपत्र ने कहा, "भारत पर दोष मंढ़ने से खाद्य संकट का हल नहीं निकलेगा."
साथ ही ग्लोबल टाइम्स ने कहा, "अब G7 देशों के कृषि मंत्री भारत से अपील कर रहे हैं कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध ना लगाए. तो ऐसे में G7 देश खुद खाद्य बाजार की सप्लाई अपना निर्यात बढ़ा कर संतुलित क्यों नहीं कर लेते हैं?"
चीनी मीडिया ने आगे कहा, हालांकि भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं का उत्पादक देश है, लेकिन भारत की वैश्विक गेहूं निर्यात में बहुत छोटी हिस्सेदारी है. जबकि इससे उलट कुठ विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में, जिसमें, अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं, यह देश दुनिया के कुछ बड़े गेहूं निर्यातक हैं."
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, संभावित वैश्विक खाद्य संकट को देखते हुए अगर कुछ पश्चिमी देश गेहूं का निर्यात कम करने का निर्णय लेते हैं तो उन्हें भारत की आलोचना करना का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि भारत पर पहले ही अपनी खाद्य आपूर्ती की सुरक्षा का दबाव है.
इस लेख में दलील दी गई है कि G7 देशों का वैश्विक खाद्य संकट से निपटने में स्वागत है और उन्हें भारत जैसे विकासशील देशों की इसे लेकर आलोचना करने के खिलाफ सलाह दी जाती है.
वहीं भारत ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि गेहूं का निर्यात रोकने से खाद्य कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और इससे भारत की खाद्य सुरक्षा मज़बूत होगी. भारत एक भरोसेमंद आपूर्तीकर्ता है और वह अपने सभी समझौतों की इज्जत करता है.
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