पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (फाइल फोटो)
बीजिंग:
भारत-चीन सीमा के पास भारतीय सेना द्वारा युद्धक टैंकों की तैनाती किए जाने की आलोचना करते हुए चीन के सरकारी मीडिया ने कहा है कि यह कदम देश में चीनी निवेश के प्रवाह पर असर डाल सकता है। इसके साथ ही चीनी मीडिया ने आपसी गलतफहमियों को दूर करने के लिए साझा प्रयासों का आह्वान किया। गौरतलब है कि दो दिन पहले NDTV की रिपोर्ट में भारत-चीन सीमा पर सेना की ओर से 100 टैंक तैनात किये जाने की जानकारी दी गई थी। NDTV ने मंगलवार को बताया था कि करीब 100 टैंक पूर्वी लदाख ने तैनात किए गए हैं। यह बताता है कि अधोसंरचनागत निर्माण और आक्रामक सैन्य अभियान के जरिये चीन जिस क्षेत्र पर अपना दावा करता रहा है, उसे लेकर भारत बेहद गंभीर है।
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में आज कहा गया, 'किसी भी संभावित खतरे का सामना करने के लिए भारत-चीन सीमा के पास लगभग 100 टैंक तैनात किए जाने की खबर पर लोगों का ध्यान गया है क्योंकि ज्यादा चीनी कंपनियां भारत में अपना निवेश बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं।' इसमें कहा गया, 'हालांकि यह बात उलझाने वाली है कि चीन की सीमा के पास टैंक तैनात करके भी भारत चीनी निवेश हासिल करना चाहता है।'
लेख में कहा गया, 'भारत-चीन सीमा के पास टैंक तैनात किए जाने से चीनी कारोबारी समुदाय को यह बात खटक सकती है। निवेशक निवेश संबंधी फैसले करते हुए राजनीतिक अस्थिरता के खतरे को मापने की कोशिश करेंगे।' यह लेख भारतीय सेना द्वारा लद्दाख सीमा पर चीन की आक्रामक सेना और सीमा पर बने ढांचों के सामने टैंकों की तैनाती की खबरों का हवाला देता है।
खबरों में कहा गया है कि चीन ने भी अपनी तरफ विशेष इकाइयां तैनात कर रखी हैं और टैंकों की तैनाती इसे संतुलित करने पर केंद्रित है। इस साल मई में प्रकाशित ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में भारत में चीनी निवेश छह गुना बढ़कर 87 करोड़ डॉलर हो गया। लगभग 70 अरब डॉलर के वाषिर्क व्यापार में 46 अरब डॉलर से ज्यादा के व्यापार घाटे का सामना कर रहा भारत बीजिंग पर निवेश बढ़ाने के लिए जोर डाल रहा है। उसने चीनी निवेशों के सुगम प्रवाह के लिए सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों को हटाया है।
निवेश का माहौल सुधारने के लिए भारत के प्रयासों को मान्यता देते हुए ग्लोबल टाइम्स के लेख में कहा, 'भारत सरकार की ओर से विदेशी निवेश का माहौल सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं लेकिन अब ऐसा लगता है गैर-आर्थिक कारकों को लेकर निवेशकों में घर करने वाले संदेहों को दूर करने के लिए ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।' इसमें कहा गया, ‘औद्योगीकीकरण और शहरीकरण के अपने शुरूआती दौर के दौरान, चीन ने राजनीतिक विवादों को दरकिनार कर आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया। भारत सरकार के लिए यह एक हद तक रोडमैप की तरह काम कर सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘दीर्घकालिक तौर पर देखें तो भारत और चीन के बीच एक सफल संबंध की, विशेष तौर निर्माण क्षेत्र में एक बड़ी संभावना है। इस संभावना को हकीकत में बदलने के लिए चीन और भारत दोनों को ही गलतफहमियां दूर करने के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत है। तभी आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग के टिकाउ विकास के लिए एक मजबूत नींव रखी जा सकती है।’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में आज कहा गया, 'किसी भी संभावित खतरे का सामना करने के लिए भारत-चीन सीमा के पास लगभग 100 टैंक तैनात किए जाने की खबर पर लोगों का ध्यान गया है क्योंकि ज्यादा चीनी कंपनियां भारत में अपना निवेश बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं।' इसमें कहा गया, 'हालांकि यह बात उलझाने वाली है कि चीन की सीमा के पास टैंक तैनात करके भी भारत चीनी निवेश हासिल करना चाहता है।'
लेख में कहा गया, 'भारत-चीन सीमा के पास टैंक तैनात किए जाने से चीनी कारोबारी समुदाय को यह बात खटक सकती है। निवेशक निवेश संबंधी फैसले करते हुए राजनीतिक अस्थिरता के खतरे को मापने की कोशिश करेंगे।' यह लेख भारतीय सेना द्वारा लद्दाख सीमा पर चीन की आक्रामक सेना और सीमा पर बने ढांचों के सामने टैंकों की तैनाती की खबरों का हवाला देता है।
खबरों में कहा गया है कि चीन ने भी अपनी तरफ विशेष इकाइयां तैनात कर रखी हैं और टैंकों की तैनाती इसे संतुलित करने पर केंद्रित है। इस साल मई में प्रकाशित ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में भारत में चीनी निवेश छह गुना बढ़कर 87 करोड़ डॉलर हो गया। लगभग 70 अरब डॉलर के वाषिर्क व्यापार में 46 अरब डॉलर से ज्यादा के व्यापार घाटे का सामना कर रहा भारत बीजिंग पर निवेश बढ़ाने के लिए जोर डाल रहा है। उसने चीनी निवेशों के सुगम प्रवाह के लिए सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों को हटाया है।
निवेश का माहौल सुधारने के लिए भारत के प्रयासों को मान्यता देते हुए ग्लोबल टाइम्स के लेख में कहा, 'भारत सरकार की ओर से विदेशी निवेश का माहौल सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं लेकिन अब ऐसा लगता है गैर-आर्थिक कारकों को लेकर निवेशकों में घर करने वाले संदेहों को दूर करने के लिए ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।' इसमें कहा गया, ‘औद्योगीकीकरण और शहरीकरण के अपने शुरूआती दौर के दौरान, चीन ने राजनीतिक विवादों को दरकिनार कर आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया। भारत सरकार के लिए यह एक हद तक रोडमैप की तरह काम कर सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘दीर्घकालिक तौर पर देखें तो भारत और चीन के बीच एक सफल संबंध की, विशेष तौर निर्माण क्षेत्र में एक बड़ी संभावना है। इस संभावना को हकीकत में बदलने के लिए चीन और भारत दोनों को ही गलतफहमियां दूर करने के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत है। तभी आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग के टिकाउ विकास के लिए एक मजबूत नींव रखी जा सकती है।’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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