अमेरिका में वैध स्थायी निवास के लिए प्रति देश कोटा को खत्म करने की मांग को लेकर भारतीय मूल के फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स ने कैपिटल (संसद भवन) में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. ग्रीन कार्ड को आधिकारिक रूप से स्थायी निवास कार्ड कहा जाता है. यह दस्तावेज अमेरिका में रह रहे प्रवासियों को जारी किया जाता है जो इस बात का सबूत है कि कार्ड धारक को देश में स्थायी रूप से रहने का अधिकार है. भारतीय-अमेरिकी डॉक्टरों ने सोमवार को साझा बयान जारी कर कहा कि ग्रीन कार्ड देने के लंबित मामले निपटने की हालिया सिस्टम से उन्हें ग्रीन कार्ड पाने में 150 से अधिक साल लग जाएंगे. नियम के तहत किसी भी देश के सात फीसदी से अधिक लोगों को रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड देने की अनुमति नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की आबादी करोड़ों में हैं लेकिन इसके लोगों को ग्रीन कार्ड दिए जाने की संख्या आईसलैंड की आबादी के बराबर है. H-1B वीजा पर कोई सीमा नहीं है और यहां एच-1बी वीजा पर काम करने के लिए आने वालों में 50 फीसदी भारतीय है. एच-1बी और ग्रीन कार्ड के बीच विसंगति से प्रमाणपत्र पाने वालों की कतार लंबी होती जा रही है और इसका हमारे पेशेवर और निजी जीवन पर असर पड़ रहा है.''
भारतीय आईटी पेशेवर इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं. उन्होंने सांसद जो लोफग्रेन से इस संबंध में एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश करने की अपील की जिससे कि दक्ष पेशेवरों की परेशानी का हल हो, बाल एवं किशोर मनोचिकित्सक डॉ. नमिता धीमान ने कहा, ‘‘ग्रीन कार्ड के लिए लंबे इंतजार से अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्यकर्मियों एवं उनके परिवारों पर असर पड़ा है। वे दहशत और डर में जी रहे हैं. ''उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति को यूएससीआईएस (यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज) को इजाजत देकर पिछले कई वर्षों से शेष बच रहे ग्रीन कार्ड को उन अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जारी करना चाहिए जो लंबे समय से इसके इंतजार में हैं.'' उन्होंने कहा कि कोविड-19 से और अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं