वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के अध्यक्ष और सीईओ बोर्गे ब्रेंडे ने भविष्यवाणी की है कि सुधारों की मदद से भारत की विकास दर 7-8% तक पहुंचने की क्षमता है. स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. ब्रेंडे ने एनडीटीवी से कहा, "भारत में अपार संभावनाएं हैं. इस वर्ष 6 प्रतिशत की दर से यह अभी भी काफी अच्छी वृद्धि कर रहा है,. लेकिन कोई कारण नहीं है कि भारत फिर से गति न पकड़ सके और 7 प्रतिशत, 8 प्रतिशत की दर से विकास न कर सके, बशर्ते निवेश, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास में निवेश पर सुधार हो."
WEF अध्यक्ष ने कहा, "हमें उम्मीद है कि कुछ वर्षों में भारत की हिस्सेदारी कुल वैश्विक वृद्धि में 20 प्रतिशत होगी. यह काफी अविश्वसनीय है. और भारत के लिए एक और बात कारगर है कि यहां स्टार्टअप्स की अपार ताकत है. भारत में 1,20,000 से अधिक स्टार्टअप्स हैं. मुझे लगता है कि अब 120 से अधिक यूनिकॉर्न हैं. इसलिए मुझे लगता है कि यह पारिस्थितिकी तंत्र भविष्य की वृद्धि का आधार भी है."
भारत जल्द ही 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत का 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य संभव है, इसपर ब्रेंडे ने कहा कि भारत जल्द ही 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, और भारत के हित में यह भी है कि व्यापार अब डिजिटल व्यापार और सेवाओं की ओर अधिक बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "यह पारंपरिक वस्तुओं की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ रहा है. और ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारत बहुत मजबूत है."
डिजिटलीकरण पर की बात
कार्यबल के अधिक डिजिटलीकरण से उत्पन्न होने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियों या अवसरों के बारे में NDTV द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में, ब्रेंडे ने कहा, "इससे उत्पादकता में वृद्धि होती है. और उत्पादकता कम संसाधनों के साथ अधिक उत्पादन करने के समान है. और निश्चित रूप से, इससे कुछ नौकरियों को चुनौती मिलेगी जो आज बैक ऑफिस या अन्य नौकरियों में हैं. लेकिन अगर इससे लोग उन क्षेत्रों में चले जाते हैं, जहां आप मूल्य श्रृंखला में उच्च उत्पादन करते हैं, तो आप बेहतर भुगतान होगा , आप अधिक उत्पादन कर सकते हैं."
WEF अध्यक्ष ने कहा इसलिए, भारत के लिए, नई प्रौद्योगिकियों के मामले में निश्चित रूप से बहुत सारे अवसर हैं. लेकिन शॉर्ट टर्म में यह चुनौतियां भी पैदा करता है. क्योंकि लोगों को अपस्किल और रीस्किल करना पड़ता है."
जलवायु परिवर्तन अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण
जलवायु परिवर्तन पर बात करते हुए ब्रेंडे ने NDTV से कहा कि "यह जलवायु अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है और आप अभी लॉस एंजिल्स से वापस आए हैं. आपने जंगलों में लगी आग देखी है. हमने सूखा भी देखा है. हम जानते हैं कि कृषि उत्पादन, खाद्य उत्पादन अब अधिक चुनौतीपूर्ण हो रहा है. क्योंकि ऐसे क्षेत्र हैं जहां आप वह नहीं उगा सकते जो आप पहले उगाते थे. इसलिए सामान्य तौर पर, मैं कहूंगा कि जलवायु परिवर्तन के मामले में निष्क्रियता की लागत कार्रवाई की लागत से कहीं अधिक है. इसलिए हमें गति बनाए रखने की आवश्यकता है. हमें आने वाले वर्षों में कम CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) उत्सर्जित करने की आवश्यकता होगी, ताकि हम 2 डिग्री के लक्ष्य पर टिके रह सकें."
उन्होंने कहा कि 2 डिग्री का लक्ष्य बहुत मायने रखता है, विशेष रूप से उन देशों के लिए जो सबसे अधिक असुरक्षित हैं, जो ऐसे देश हैं जिन्होंने सबसे कम CO2 उत्सर्जित किया है, पारंपरिक रूप से अफ्रीकी देश हैं. लेकिन इसमें भारत भी शामिल है जिसने पहले ही हीट वेव्स का सामना किया है और 'इसकी कीमत देखी है'.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, 20 जनवरी से शुरू होने वाली पांच दिवसीय बैठक में विकास को फिर से शुरू करने, नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने और सामाजिक और आर्थिक लचीलेपन को मजबूत करने के तरीकों पर विचार किया जाएगा. वैश्विक बैठक में 130 से अधिक देशों के लगभग 3,000 लीडर्स भाग लेंगे.
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