
भारत (India) चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) से मिल रहे खतरे के मद्देनज़र रूस (Russia) में बने S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अगले महीने अपनी रक्षा में तैनात कर सकता है. भारत वायुसेना, थलसेना, नौसेना और रणनीतिक परमाणु बलों का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने संसदीय सुनवाई के दौरान यह कहा है. भारत को पिछले साल दिसंबर से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस से मिलना शुरू हुआ था. लेफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बैरियर जो डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी से डायरेक्टर हैं, उन्होंने अमेरिकी संसद की सशस्त्र सेवा समिति को हाली ही में हुई सुनवाई के दौरान यह बताया.
अमेरिका लगातार भारत को रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर चेताता रहा है.
अक्टूबर 2021 तक, भारत की सेना अपनी ज़मीनी और समुद्री सीमी को सुरक्षित करने के लिए एडवांस निगरानी सिस्टम लेने पर विचार कर रही थी. साथ ही हमलावर और रक्षात्मक साइबर क्षमता को भी बढ़ावा देने पर काम चल रहा था.
लेफ्टिनेंट जनरल बेरियर ने कहा, "दिसंबर में, भारत को S-400 वायु रक्षा तंत्र की शुरुआती डिलीवरी मिली. भारत इसका इस्तेमाल जून 2022 तक पाकिस्तानी और चीनी खतरे से निपटने के लिए करना चाहता है."
साथ ही उन्होंने बताया, " भारत अपनी हायपरसोनिक, बैलिस्टिक, क्रूज़ और एयर डिफेंस मिसाइल क्षमता को विकसित करना जारी रखे हुए है. भारत ने 2021 से कई टेस्ट किए हैं. भारत की कई सैटेलाइट काम कर रही हैं और वह अपने अंतरिक्ष के संसाधनों के प्रयोग को बढ़ा रहा है, हो सकता है कि भारत अंतरिक्ष से हमला करने की क्षमता पर भी काम कर रहा है."
लेफ्टिनेंट जनरल बैरियर ने बताया कि नई दिल्ली में सांसद सेना के आधुनिकीकरण के कई प्रयास कर रहे हैं.और घरेलू उत्पादन पर भी जोर दे रहे हैं.
भारत समग्र थिएटर कमांड भी बनाने की ओर कदम बढ़ा रहा है जो उसकी तीनों सेनाओं की संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाएगा. भारत के रूस के साथ लंबे समय के रक्षा संबध मजबूत हैं. दिसंबर में दोनों देशों की पहली 2+2 फॉर्मेट में बैठक हुई जो इससे पहले केवल अमेरिका और जापान और ऑस्ट्रलिया के साथ हुई थी.
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