
- पूरी दुनिया में आर्थिक उथल-पुथल मचाने वाले ट्रंप ने बांग्लादेश, पाकिस्तान को टैरिफ में रियायत दी है.
- पाकिस्तान पर 19%, बांग्लादेश पर 20% टैरिफ लगाया है, वहीं भारत पर 25% टैरिफ थोपा है.
- पाकिस्तान-बांग्लादेश पर ट्रंप की मेहरबानी के पीछे असली वजह पीएम मोदी और नए भारत का हौसला है.
बांग्लादेश और पाकिस्तान, भारत के दो निकटतम पड़ोसी देश, इस वक्त बेहद खुश हैं. वजह, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक तरफ उन पर भर-भरकर टैरिफ भरा प्यार लुटाया है, तो दूसरी तरफ भारत को टैरिफ किंग बताकर 'चाबुक' चलाया है. ट्रंप ने भारत पर 25% का टैरिफ का ऐलान किया है. रूस से हथियार-तेल खरीदने पर पेनल्टी अलग से लगाने की बात कही है. वहीं पाकिस्तान पर 19% और बांग्लादेश पर 20% टैरिफ लगाया है. पाकिस्तान से बड़ी तेल डील की भी घोषणा की है. ट्रंप की इस मेहरबानी को दोनों देश इसे अपनी जीत बता रहे हैं. लेकिन इसकी असल वजहें कुछ और हैं.
20% टैरिफ से बांग्लादेश बाग-बाग
महज 17 करोड़ की आबादी वाला बांग्लादेश ट्रंप की 'टैरिफ ट्रीट' से किस कदर बाग-बाग हो रहा है, ये सरकार के अंतरिम मुखिया और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बयान से साफ है. ट्रंप ने बांग्लादेश पर पहले 35 पर्सेंट का पारस्परिक टैरिफ (reciprocal tariff) लगाने का ऐलान किया था, लेकिन अब इसे घटाकर 20 पर्सेंट कर दिया गया है. यूनुस इसे अपनी 'निर्णायक और कूटनीतिक जीत' बता रहे हैं, साथ ही भारत पर तंज भी कस रहे हैं. बांग्लादेश सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस का ट्वीट देखिए. वह लिखते हैं, 'अमेरिका के साथ ऐतिहासिक ट्रेड डील करने के लिए हम गर्व के साथ बांग्लादेश के वार्ताकारों को बधाई देते हैं. यह हमारे लिए एक निर्णायक कूटनीतिक जीत है.
भारत पर तंज कसते हुए यूनुस ने पीठ थपथपाई
यूनुस ने लिखा, "बांग्लादेश ने 20% का टैरिफ रेट हासिल किया है, जो कि अपैरल (तैयार कपड़ों के) मार्केट में उसके प्रमुख प्रतिस्पर्धी श्रीलंका, वियतनाम, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों के लगभग बराबर है. इन देशों पर 19-20% टैरिफ लगा है. वह आगे लिखते हैं, "इसके उलट, भारत अमेरिका के साथ व्यापक ट्रेड एग्रीमेंट करने में नाकाम रहा और उस पर 25 पर्सेंट टैरिफ लगाया गया है."
Chief Adviser's message after successful tarriff negotiations with US
— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) August 1, 2025
Dhaka, August 1, 2025: We proudly congratulate the Bangladesh tariff negotiators on securing a landmark trade deal with the United States, a decisive diplomatic victory.
By reducing the tariff to 20%, 17…
मोहम्मद यूनुस लिखते हैं कि यह उपलब्धि न सिर्फ वैश्विक मंच पर बांग्लादेश की बढ़ती ताकत को दिखाती है, बल्कि नए अवसरों, विकास और स्थायी समृद्धि के द्वार भी खोलती है. बांग्लादेश का भविष्य उज्ज्वल है, इसमें शक नहीं. अमेरिका से बातचीत करने वाले अपने वार्ताकारों को बधाई देते हुए यूनुस लिखते हैं कि ये बांग्लादेश के बोल्ड विजन और भविष्य की मजबूत इकोनमी का ठोस उदाहरण है.
भारत-बांग्लादेश संबंध नाजुक मोड़ पर
याद दिला दें, भारत-और बांग्लादेश के संबंध पिछले साल उस समय काफी खराब हो गए थे, जब 'तख्तापलट' के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत आ गई थीं. बांग्लादेश में हिंदुओं पर खूब अत्याचार हुए थे. अब तक इसकी छिटपुट खबरें आती रहती हैं. शेख हसीना के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस को सत्ता की कमान सौंपी गई. उनके शासन में भारत विरोधी खूब बयानबाजी हुई. इसका असर भारत-बांग्लादेश ट्रेड पर भी पड़ा.
बांग्लादेश को 15% टैरिफ की 'छूट'
बांग्लादेश काफी हद तक अमेरिका की 'रहनुमाई' पर निर्भर है. अमेरिका से बातचीत की अगुआई करने वाले बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. खलीलुर्रहमान ने अमेरिकी टैरिफ पर कहा, "हमने यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी से वार्ता की कि हमारी प्रतिबद्धताएं हमारे राष्ट्रीय हितों और क्षमता के अनुरूप हों... हमने सफलतापूर्वक खुद को 35 फीसदी पारस्परिक टैरिफ (reciprocal tariff) से बचा लिया है. यह हमारे अपैरल सेक्टर और उस पर निर्भर लाखों लोगों के लिए गुड न्यूज है.
पहले तेल डील, फिर टैरिफ... पाकिस्तान खुश
अब पाकिस्तान पर अमेरिकी टैरिफ की कहानी जानिए. ट्रंप भारत पर 25 पर्सेंट टैरिफ लगाने का ऐलान करते हैं. इसके कुछ ही घंटों के बाद पाकिस्तान के साथ एक 'ऐतिहासिक' ऑयल डील की घोषणा करते हैं. ट्रंप कहते हैं कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान में मौजूद तेल के 'विशाल भंडारों' को डेवलप करेंगे. एक तेल कंपनी को साझेदारी के लिए चुना जा रहा है... हो सकता है कि एक दिन पाकिस्तान भारत को भी अपना तेल बेचे. देखा जाए तो ट्रंप के इस दावे पर सवाल भी उठ रहे हैं.
पाकिस्तान के तेल भंडार की असलियत!
- कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में इतना तेल भंडार है ही नहीं कि वह उसे डेवलप करके दूसरे देशों को बेच पाए.
- अमेरिका के एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (EIA) की 2016 की एक रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका के पास महज 353 मिलियन बैरल के घोषित तेल रिजर्व हैं.
- दुनिया के कुल तेल रिजर्व का यह महज 0.021 पर्सेंट है.
- पाकिस्तान के रोज का तेल खर्च 5.56 लाख बैरल का है.
- इस लिहाज से उसका तेल रिजर्व ज्यादा से ज्यादा दो साल तक उसका खुद का खर्च उठा सकता है.
- पाकिस्तान खुद रोजाना 88 हजार बैरल कच्चा तेल ही निकाल पाता है.
- ऐसे में उसे अपना 85 पर्सेंट तेल विदेश से आयात करना पड़ता है.
- पाकिस्तान में हाल में नए तेल भंडारों की खोज भी नहीं हुई है. एक गैस का भंडार जरूर कुछ समय पहले मिला है.
पाकिस्तान पर टैरिफ में 10% की 'कटौती'
बहरहाल, पाकिस्तान के साथ मेगा तेल डील की घोषणा के अगले दिन ट्रंप ने 69 देशों पर नए टैरिफ का ऐलान किया. इनमें पाकिस्तान से अमेरिका आयात होने वाली वस्तुओं पर 19 फीसदी टैरिफ की घोषणा शामिल थी. यहां बता दें कि ट्रंप ने पाकिस्तान पर पहले 29 पर्सेंट टैरिफ लगाने की बात कही थी, लेकिन अब इसमें 10 पर्सेंट की कटौती कर दी है. पाकिस्तान सरकार की तरफ से, खबर लिखे जाने तक इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया तक नहीं दी गई थी.
तेल के बदले टैरिफ का अमेरिकी खेल
अब इसका दूसरा पहलू भी देखिए. पाकिस्तान पर ट्रंप की मेहरबानी ऐसे ही नहीं हुई है, इसके पीछे व्यापारिक से लेकर सैन्य निहितार्थ छिपे हैं. पाकिस्तान अब तक अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिडिल ईस्ट से कच्चा तेल खरीदता रहा है, लेकिन अब उसने पहली बार अमेरिका से क्रूड ऑयल खरीदने की डील की है. पाकिस्तान की सबसे बड़ी रिफाइनरी Cnergyico अमेरिका से एक मिलियन बैरल तेल खरीदेगी.
पाकिस्तान पर इतने मेहरबान क्यों ट्रंप?
- पाकिस्तान की मदद करने के पीछे ट्रंप की सैन्य, कूटनीतिक और भूराजनीतिक, कई मजबूरियां बताई जाती हैं.
- पाकिस्तान ऐसी जगह पर स्थित है, जो अफगानिस्तान और मिडिल एशिया के बीच है.
- अफगानिस्तान को बैलेंस करने के लिए अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत पड़ती है.
- 2001 में अफगानिस्तान में सैन्य व आतंकवादी विरोधी अभियान में अमेरिका ने पाकिस्तान के जमीनी व हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया था.
- पाकिस्तान परमाणु संपन्न देश है. अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि उसके ये हथियार गलत हाथों में पड़ें.
- पाकिस्तान में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने और उसे अपने पाले में बनाए रखने के लिए भी अमेरिका उस पर मेहरबानी करता रहता है .
- सबसे बड़ी बात कि अमेरिका पाकिस्तान के जरिए भारत को दबाव में बनाए रखना चाहता है.
ट्रंप के तीखे तेवरों की सबसे बड़ी वजह- पीएम मोदी
इस सबके अलावा एक और ऐसी वजह है, जिसकी वजह से ट्रंप को पाकिस्तान और बांग्लादेश को पुचकारना पड़ रहा है. वो है भारत और भारत की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार. 2014 के बाद से भारत की आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक हैसियत में काफी बदलाव आया है. भारत एक उभरती महाशक्ति बन गया है. अब वह किसी के दबाव में आने वाला देश नहीं रह गया है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान में संघर्षविराम कराने के ट्रंप के बार-बार के दावों को भारत खारिज कर चुका है. पीएम मोदी खुद इस पर बयान दे चुके हैं.
चट्टान की तरह खड़ा पीएम मोदी का भारत
भारत ने ट्रंप के मनमुताबिक शर्तों पर ट्रेड एग्रीमेंट करने से इनकार कर दिया है. यही वजह है कि ट्रंप भारत को दबाव में लेना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान आर्मी चीफ को व्हाइट हाउस में बुलाकर दावत दी है. भारत पर टैरिफ किंग जैसी तोहमत लगाई. पाकिस्तान-बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को ज्यादा छूट दी, और भारत पर ज्यादा टैरिफ लगाया.
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