
भारत 2015 में 75वें स्थान पर जबकि इससे पूर्व वर्ष में यह 61वें स्थान पर था....
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ब्रिटेन पहले पायदान पर जबकि अमेरिका दूसरे नंबर पर है
भारत 2015 में 75वें स्थान पर जबकि 2014 में 61वें स्थान पर था
वर्ष 2007 तक शीर्ष 50 देशों में शामिल था भारत
काले धन की समस्या के समाधान के लिये स्विट्जरलैंड और भारत के बीच सूचना के स्वत: आदान-प्रदान के लिये नए मसौदे से पहले ज्यूरिख स्थित एसएनबी ने यह आंकड़ा जारी किया. एसएनबी के इन आंकड़ों में इस बात का जिक्र नहीं है कि भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या विभिन्न देशों की इकाइयों के नाम पर अन्य ने कितना-कितना धन जमा किया हुआ है. स्विट्जरलैंड में बैंकिंग गोपनीयता के खिलाफ वैश्विक अभियान के बाद ऐसी धारणा है कि जिन भारतीयों ने अपना अवैध धन पूर्व में स्विस बैंकों में रखा था, वे उन्हें दूसरी जगहों पर स्थानांतरित कर सकते हैं.
काले धन के खिलाफ जारी कार्वाई के बीच स्विस बैंकों ने यह भी कहा कि सिंगापुर तथा हांगकांग जैसे वैश्विक वित्तीय केंद्रों की तुलना में भारतीयों के स्विस बैंकों में 'कुछ ही जमा राशि' है. दुनियाभर के विदेशी ग्राहकों का स्विस बैंकों में जमा धन मामूली रूप से बढ़कर 2016 में 1,420 अरब स्विस फ्रैंक (सीएचएफ) हो गई जो इससे पूर्व वर्ष में 1,410 अरब स्विस फ्रैंक थी. देश के हिसाब से देखा जाए तो स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में ब्रिटेन सबसे आगे है. वहां के नागरिकों की जमा राशि 359 अरब स्विस फ्रैंक (25 प्रतिशत) हैं.
अमेरिका 177 अरब स्विस फ्रैंक (14 प्रतिशत) के साथ दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा किसी अन्य देश की हिस्सेदारी दहाई अंक में नहीं है. शीर्ष 10 देशों में वेस्ट इंडीज, फ्रांस, बहमास, जर्मनी, गुएर्नसे, जर्सी, हांगकांग तथा लक्जमबर्ग हैं.
भारत 67.6 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 4,500 करोड़ रुपये) के साथ 88वें स्थान पर है. लगातार तीन साल गिरावट के बाद यह रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर आ गया हैं प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो यह 0.04 प्रतिशत रहा जो 2015 में 0.08 प्रतिशत था. पाकिस्तान 1.4 अरब स्विस फ्रैंक के साथ 71वें स्थान पर है. ब्रिक्स देशों में रूस 19वें स्थान (15.6 अरब स्विस फ्रैंक) , चीन 25वें (9.6 अरब डालर), ब्राजील 52वें (2.7 अरब डालर) तथा दक्षिण अफ्रीका 61वें (2.2 अरब स्विस फ्रैंक) स्थान पर है.
(इनपुट भाषा से भी)
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