इमरान खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में विश्वास मत खो दिया, उनके खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 174 वोट पड़े

इमरान खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया

पाकिस्तान में पीएम इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया (फाइल फोटो).

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान में तख्ता पलट हो गया, लेकिन इस बार न तो प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दिया न ही उन्हें सेना ने बलपूर्वक सत्ता से बेदखल किया. पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी प्रधानमंत्री और उसकी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया. शनिवार को देर रात पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के प्रति अविश्वास जाहिर करते हुए नेशनल असेंबली ने मतदान करके उसे हटा दिया.    

प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में शनिवार को आधी रात में मतदान हुआ. इसमें इमरान को हार का सामना करना पड़ा. इसके साथ इरान खान पाकिस्तान के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया.

अविश्वास प्रस्ताव का इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने विरोध किया. मतदान के समय 69 वर्षीय पीएम इमरान खान संसद के निचले सदन में मौजूद नहीं थे. उनकी पार्टी पीटीआई के सांसदों भी बर्हिगमन कर गए थे.

इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही प्रधानमंत्री आवास छोड़ दिया. पीटीआई के सांसद फैसल जावेद ने ट्वीट किया, ''अभी-अभी प्रधानमंत्री इमरान खान प्रधानमंत्री आवास से विदा हुए. वह शालीनता से विदा हुए और झुके नहीं.''

पाकिस्तान में शनिवार को दिन भर सियासी हलचल काफी तेज थी. पल-पल बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच देर रात को शुरू हुए मतदान के नतीजे में संयुक्त विपक्ष को 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 174 सदस्यों का समर्थन मिला. यह संख्या प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए जरूरी बहुमत 172 से अधिक रही.

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है. इसी कड़ी में इमरान खान को भी अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ना पड़ा.   

इमरान खान ने नेशनल असेंबली को भंग करने के विवादित फैसले को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किए जाने को लेकर शुक्रवार को निराशा व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि वह देश में किसी भी ‘‘आयातित सरकार'' को स्वीकार नहीं करेंगे.

इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने का नेशनल असेंबली उपाध्यक्ष का फैसला गुरुवार को सर्वसहमति से रद्द कर दिया था. शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही नेशनल असेंबली को बहाल करने का आदेश दिया था. देश की शीर्ष अदालत ने कहा था कि नेशनल असेंबली भंग करने और समय से पहले चुनाव कराने की सिफारिश का प्रधानमंत्री का कदम ‘‘असंवैधानिक'' था.

अदालत ने निचले सदन के अध्यक्ष को भी अविश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन के लिए नौ अप्रैल को सुबह 10 बजे (पाकिस्तान के स्थानीय समयानुसार) नेशनल असेंबली का सत्र बुलाने का आदेश दिया था. अदालत ने अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर नए प्रधानमंत्री का चुनाव कराने का आदेश दिया था.

मशहूर क्रिकेटर इमरान खान ने खेल मैदान पर अपनी पारी समाप्त करने के बाद राजनीति की पारी शुरू की थी. वे 2018 में 'नया पाकिस्तान' बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे. हालांकि वह महंगाई को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे. मौजूदा नेशनल असेंबली का कार्यकाल अगस्त 2023 में समाप्त होना था.

पाकिस्तान में शनिवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ महत्वपूर्ण अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए संसद का अहम सत्र अलग-अलग वजहों से स्थगित किया गया. बाद में देर रात तक नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर और उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने इस्तीफा दे दिया.

नेशनल असेंबली का महत्वपूर्ण सत्र शनिवार सुबह 10:30 बजे शुरू होने के बाद अध्यक्ष कैसर ने अलग-अलग कारणों से तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित की. इस्तीफे की घोषणा के बाद कैसर ने पीएमएल-एन के अयाज सादिक को सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करने को कहा. इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया गया.

गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने आठ मार्च को इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. इसके बाद खान ने इसके पीछे विदेशी साजिश होने का आरोप लगाते हुए अमेरिका पर निशाना साधा था. हालांकि, अमेरिका ने आरोपों को बेबुनियाद करार दिया था.

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अविश्वास प्रस्ताव के साथ इमरान खान की सत्ता की पारी समाप्त हो गई. वे इसके साथ पाकिस्तान के इतिहास में उनका नाम एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज हो गया जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के मार्फत हटाया गया.