पीएम नरेंद्र मोदी ने शियान में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। पीएम मोदी ने हिन्दी में बात की, जबकि चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग चीनी भाषा में बोले।
पीएम मोदी ने कहा, यह 125 करोड़ भारतीयों का सम्मान है, जिनका मैं प्रधानमंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। चिनफिंग ने पिछले वर्ष अहमदाबाद के अपने दौरे को याद करते हुए पीएम मोदी से कहा, आपने अपने गृहनगर में मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया था। मैं अपने गृहनगर में आपका स्वागत करते हुए बेहद प्रसन्न हूं।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन द्वारा किए जा रहे निवेश को लेकर चिंता जताई। इसके अलावा पीएम ने अरुणाचल प्रदेश के लिए चीन द्वारा स्टेपल्ड वीजा दिए जाने पर भी चिंता जताई। सूत्रों ने यह भी बताया कि मोटे तौर पर दोनों नेताओं के बीच खुलकर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। बैठक में दोनों देशों का प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ।
इस बातचीत में क्या तय हुआ ये बीजिंग में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच होने वाली मुलाक़ात और फिर दोनों देशों के बीच होने वाले समझौतों से ही पता चलेगा। लेकिन सूत्रों ने ये पहले ही साफ कर दिया है कि चाहे सीमा विवाद हो या फिर जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को स्टैपल वीज़ा दिए जाने का मसला, इन मुद्दों पर किसी बड़े नतीजे की उम्मीद इस दौरे में नहीं है। ज़ोर आर्थिक संबंधों को मज़बूती देने पर है।
भारत को ढ़ांचागत विकास के लिए भारी निवेश की ज़रूरत है और इसके लिए वो चीन की तरफ देख रहा है। लेकिन चीन के पिछले वादे पूरे होने की तरफ बढ़ते नज़र नहीं आए हैं लेकिन उसने भविष्य की उम्मीद नहीं छोड़ी है।
गुरुवार को शियान पहुंचते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले ऐतिहासिक टैराकोटा वॉरियर्स म्यूज़ियम का दौरा किया। चीन के सबसे पहले सम्राट चिन शी हुआंग को मौत के बाद भी ज़िंदगी में भरोसा था, लिहाज़ा उसकी रक्षा के लिए उन्होंने अपने जीते जी योद्धाओं के बुतों को तैयार कराया। मोदी ने इसमें ख़ासी दिलचस्पी दिखाई।
चिनफिंग और पीएम मोदी की डिनर पर फिर मुलाकात होगी। इसके बाद पीएम बीजिंग के लिए रवाना होंगे, जहां वह रात 8 बजे पहुंचेंगे। अपने तीन दिन के चीन दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी मंगोलिया और दक्षिण कोरिया भी जाएंगे।
भारत और चीन के संबंध जितने ऐतिहासिक रहे हैं उतनी ही जटिलताएं भी इसे घेरे हुए हैं। इसमें न सिर्फ अपने अपने राष्ट्रीय हितों को साधने की इच्छा जुड़ी है बल्कि रीजन में अपना दबदबा बनाने बढ़ाने की महत्वाकांक्षा भी निहित है। ऐसे में पुराने सांस्कृतिक संबंधों का हवाला आधुनिक उम्मीदों को पूरा करने में कितना मददगार साबित होता है ये आगे होने वाले समझौतों से ही पता चलेगा।
पीएम मोदी ने कहा, यह 125 करोड़ भारतीयों का सम्मान है, जिनका मैं प्रधानमंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। चिनफिंग ने पिछले वर्ष अहमदाबाद के अपने दौरे को याद करते हुए पीएम मोदी से कहा, आपने अपने गृहनगर में मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया था। मैं अपने गृहनगर में आपका स्वागत करते हुए बेहद प्रसन्न हूं।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन द्वारा किए जा रहे निवेश को लेकर चिंता जताई। इसके अलावा पीएम ने अरुणाचल प्रदेश के लिए चीन द्वारा स्टेपल्ड वीजा दिए जाने पर भी चिंता जताई। सूत्रों ने यह भी बताया कि मोटे तौर पर दोनों नेताओं के बीच खुलकर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। बैठक में दोनों देशों का प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ।
इस बातचीत में क्या तय हुआ ये बीजिंग में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच होने वाली मुलाक़ात और फिर दोनों देशों के बीच होने वाले समझौतों से ही पता चलेगा। लेकिन सूत्रों ने ये पहले ही साफ कर दिया है कि चाहे सीमा विवाद हो या फिर जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को स्टैपल वीज़ा दिए जाने का मसला, इन मुद्दों पर किसी बड़े नतीजे की उम्मीद इस दौरे में नहीं है। ज़ोर आर्थिक संबंधों को मज़बूती देने पर है।
भारत को ढ़ांचागत विकास के लिए भारी निवेश की ज़रूरत है और इसके लिए वो चीन की तरफ देख रहा है। लेकिन चीन के पिछले वादे पूरे होने की तरफ बढ़ते नज़र नहीं आए हैं लेकिन उसने भविष्य की उम्मीद नहीं छोड़ी है।
गुरुवार को शियान पहुंचते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले ऐतिहासिक टैराकोटा वॉरियर्स म्यूज़ियम का दौरा किया। चीन के सबसे पहले सम्राट चिन शी हुआंग को मौत के बाद भी ज़िंदगी में भरोसा था, लिहाज़ा उसकी रक्षा के लिए उन्होंने अपने जीते जी योद्धाओं के बुतों को तैयार कराया। मोदी ने इसमें ख़ासी दिलचस्पी दिखाई।
चिनफिंग और पीएम मोदी की डिनर पर फिर मुलाकात होगी। इसके बाद पीएम बीजिंग के लिए रवाना होंगे, जहां वह रात 8 बजे पहुंचेंगे। अपने तीन दिन के चीन दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी मंगोलिया और दक्षिण कोरिया भी जाएंगे।
भारत और चीन के संबंध जितने ऐतिहासिक रहे हैं उतनी ही जटिलताएं भी इसे घेरे हुए हैं। इसमें न सिर्फ अपने अपने राष्ट्रीय हितों को साधने की इच्छा जुड़ी है बल्कि रीजन में अपना दबदबा बनाने बढ़ाने की महत्वाकांक्षा भी निहित है। ऐसे में पुराने सांस्कृतिक संबंधों का हवाला आधुनिक उम्मीदों को पूरा करने में कितना मददगार साबित होता है ये आगे होने वाले समझौतों से ही पता चलेगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं