
- ईरान और इजरायल के बीच युद्ध में अमेरिका की भागीदारी की संभावना बढ़ गई है.
- ट्रंप ने इजरायल के ईरान पर हमले की योजना को मंजूरी दी, अंतिम आदेश अभी बाकी है.
- फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को नष्ट करने के लिए अमेरिका का GBU-57 बम महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
US Bunker Buster Bombs Explained: ईरान और इजरायल की जंग में अमेरिका की एंट्री कभी भी हो सकती है. कई एक्सपर्ट इसे लगभग तय भी मान रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है ट्रंप ने इजरायल की तरफ से ईरान पर हमला (Iran Israel War) करने के प्लान पर मुहर भी लगा दी है लेकिन फाइनल ऑर्डर अभी नहीं दिया है. अमेरिका के युद्ध में शामिल होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह तेहरान के दक्षिण में एक पहाड़ी इलाके में छिपे हुए फोर्डो न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट (परमाणु संवर्धन संयंत्र) को माना जा रहा है जो ईरान के कथित न्यूक्लियर बम हासिल करने के सपने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.
अमेरिका का शक्तिशाली बंकर-विस्फोट बम ही एकमात्र ऐसा हथियार है जो पहाड़ियों में गहराई से अंदर दबे हुए इस न्यूक्लियर प्लांट को नष्ट करने में सक्षम है. इस बम का नाम है GBU-57. इजरायल इस प्लांट को चाहकर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाया है और उसकी नजर अब अमेरिका पर है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर से देखें तो ईरान और परमाणु बम के बीच एक यही बंकर-फोड बम ही ब्रह्मास्त्र के रूप में नजर आ रहा है.

तो चलिए आपको बताते हैं कि यह बम 6 चरण में कैसे किसी अंडरग्राउंड टारगेट को इतनी सटीकता और प्रभाव के साथ तबाह कर देता है.
13,607 KG वजनी बम, 61 मीटर जमीन में घुसकर फटने की काबिलियत
ईरान का फोर्डो प्लांट इतना अंडरग्राउंड है कि इसको तबाह करना इजरायली सेना के लिए असंभव साबित हो रहा है. फोर्डो साइट सतह से 80-90 मीटर नीचे मानी जाती है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार माना जाता है कि इजरायल के पास भी बंकर-फोड़ हथियार हैं लेकिन वे केवल 10 मीटर (33 फीट) से कम की गहराई तक ही काम कर सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के पास जो GBU-57 बम है जो यह काम करने में सक्षम हो सकता है.

GBU-57 बम का वजन 13,607 किलोग्राम का है और यह फटने से पहले 200 फीट (61 मीटर) जमीन में घुसने में सक्षम है. 6.6 मीटर लंबे GBU-57 बम में एक विशेष फ्यूज भी है. बंकर को तबाह करने के लिए एक ऐसे विस्फोटक की आवश्यकता होती है जो जमीन से टकराते ही तुरंत विस्फोट न करे. जमीन के लगभग 61 मीटर अंदर जाने के बाद ही बम का फ्यूज एक्टिवेट होता है और बम फटता है.
6 चरण में काम करता है बम
- पहला चरण– बम को टारगेट से लगभग 12 किमी ऊपर B-2 स्टील्थ फाइटर जेट से छोड़ा जाता है. GBU-57 बम को डिप्लॉय करने (टागरेट पर गिराने) में केवल यह फाइटर जेट सक्षम है. यह स्टील्थ फाइटर जेट है यानी इसको रडार कैच नहीं कर पाता है. प्रत्येक B-2 फाइटर जेट अपने साथ दो GBU-57 बम ले जा सकता है.
- दूसरा चरण- इस बम में कोई इंजन नहीं लगा होता है, लेकन जब इसे आसमां में 12 किमी की उंचाई से गिराया जाता है, और इसका खुद का वजन 13,607 KG होता है तो यह बहुत तेज गति से नीचे आता है.
- तीसरा चरण- यह बम सैटेलाइट गाइडेंस से लैस होता है. यानी अमेरिका में बैठकर ही इसे ईरान के किसी टारगेट पर बीच हवा में मूव किया जा सकता है. इसमें लगे फिन्स का इस्तेमाल करके इसे हवा में मूव किया जाता है और टारगेट के ठीक उपर गिराया जाता है.
- चौथा चरण- इस स्टेप के लिए आप यह समझिए कि अगर किसी चीज का वजन बहुत अधिक है और वह तेज गति से मूव कर रही है तो उसकी काइनैटिक इनर्जी बहुत अधिक होती है और किसी सतह से टकराने पर उसका प्रभाव उतना ही अधिक होता है. अब भारी वजन और तेज स्पीड इस बम को भी बंकर के उपर की जमीं पर टकराते ही हाई काइनैटिक इनर्जी देती है.
- पांचवा चरण- बंकर के उपर की जमीं पर हाई इनर्जी से टकराकर बम जमीन के 61 किमी अंदर तक पहुंच जाता है.
- छठा चरण- इस स्तर पर पहुंचकर बम का फ्यूज डेटोनेट होता है और इसमें मौजूद 2,400 KG विस्फोटक फटता है.
यहां ध्यान रहे कि GBU-57 बम जमीन के 61 किमी अंदर तक भेदने में सक्षम है और ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट जमीन के 80-90 किमी अंदर तक है. पूर्व अमेरिकी सेना लेफ्टिनेंट जनरल और रैंड कॉर्पोरेशन के डिफेंस रिसर्चर मार्क श्वार्ट्ज का कहना है कि फोर्डो प्लांट को तबाह करने के लिए संभवतः कई बमों की आवश्यकता होगी.
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