व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को कहा कि ईरान लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों के खिलाफ अभियान की योजना बनाने में संलिप्तता था. यमन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती विद्रोहियों को जहाजों को निशाना बनाने में सक्षम बनाने के लिए इसकी खुफिया जानकारी महत्वपूर्ण थी. दरअसल यमन में इस वक़्त हूती विद्रोहियों की सरकार है. जिसने 2014 में राजधानी सना पर क़ब्जा कर लिया था. इस सरकार को ईरान से समर्थन मिला हुआ है. ये लोग फिलिस्तीनियों के समर्थन में हैं और ड्रोन और मिसाइलों के साथ लाल सागर में वाणिज्यिक शिपिंग को निशाना बना रहे हैं.
रॉयटर्स में छपी खबर के अनुसार, व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा, हम जानते हैं कि लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों के खिलाफ अभियान की योजना बनाने में ईरान गहराई से शामिल था. यह एक अंतरराष्ट्रीय चुनौती है जो सामूहिक कार्रवाई की मांग करती है.
हालांकि ईरान ने हूतियों द्वारा लाल सागर में किए जा रहे हमलों में शामिल होने से इनकार किया है.
लाल सागर में इनके द्वारा किए जा रहे हमलों के कारण जहाजों को मार्ग बदलने पर मजबूर होना पड़ रहा है. अमेरिका ने पिछले सप्ताह लाल सागर में जहाजों को हमलों से बचाने में मदद करने के उद्देश्य से 20 देशों को शामिल करते हुए एक नौसैनिक गठबंधन की घोषणा की थी. इसमें शामिल कुछ देशों ने कहा है कि वाणिज्यिक यातायात की सुरक्षा के लिए ऑपरेशन मौजूदा नौसैनिक समझौतों के हिस्से के रूप में होंगे.
आपको बता दें तुर्की से भारत जा रहे एक मालवाहक जहाज को यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में हाईजैक कर लिया था. जहाज पर विभिन्न देशों के चालक दल के करीब 50 सदस्य सवार थे.
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