हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने संघीय अदालत से कहा है कि ट्रम्प प्रशासन को अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के उन पाठ्यक्रमों में निर्वासित (डिपोर्ट) करने के आदेश को रोकना चाहिए जो कोरोना वायरस संकट के कारण ऑनलाइन हो जाएंगे.विश्वविद्यालयों की ओर से बोस्टन में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में बुधवार को दायर मामले में 6 जुलाई के सरकारी आदेश को दरकिनार करने का अनुरोध किया गया है.याचिका में ट्रंप प्रशासन के आदेश को गैरकानूनी बताया गया है.
एक अस्थायी निरोधक आदेश 14 दिनों के लिए इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन नीति को रोक देगा. विश्वविद्यालयों ने कहा है कि उन्होंने मार्च से डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की नीति पर भरोसा किया है, जिससे अमेरिका में विदेशी छात्रों को रहने और नए छात्रों को यहांआने की अनुमति मिल सके.
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गौरतलब है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों को ट्रपं प्रशासन के आदेश से बड़ा झटका लगा है. सोमवार को अमेरिका ने ऐलान किया है कि ऐसे छात्रों का वीजा वापस लिया जाएगा जिनकी क्लासेज केवल ऑनलाइन मॉडल पर हो रही है. इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट डिपार्टमेंट (आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग) की तरफ से एक बयान जारी करके कहा गया कि नॉनइमिग्रैंट F-1 और M -1 छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा जिनकी केवल ऑनलाइन क्लासेज चल रही है. विभाग के अनुसार ऐसे छात्रों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी या फिर अगर वह अभी भी अमेरिका में रह रह हैं तो उन्हें अमेरिका छोड़कर अपने देश जाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो छात्रों को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
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