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हमास की कैद से नेपाली हिंदू छात्र का शव बाहर आया, अमेरिका तक दौड़ने वाली मां की आखिरी उम्मीद भी खत्म!

Israel Hamas Hostage Deal: नेपाल के एक छोटे से शहर से हमास के कैद तक बिपिन जोशी की यात्रा सितंबर 2023 में शुरू हुई थी. बिपिन गाजा सीमा के पास मौजूद किबुत्ज अलुमिम में खेती से जुड़े एक प्रोग्राम में शामिल होने गया था.

हमास की कैद से नेपाली हिंदू छात्र का शव बाहर आया, अमेरिका तक दौड़ने वाली मां की आखिरी उम्मीद भी खत्म!
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के शांति प्लान के तहत इजरायल और हमास के बीच युद्ध समाप्ति और सीजफायर समझौता हुआ है
  • हमास ने अपने कब्जे में रखे गए 20 जीवित बंधकों को रिहा किया, इजरायल ने 2088 फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त किया है
  • नेपाली छात्र बिपिन जोशी का शव हमास द्वारा इजरायली अधिकारियों को सौंपा गया, उसका अंतिम संस्कार इजरायल में होगा
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्लान के तहत इजरायल और हमास के बीच जंग रुक गई है, सीजफायर समझौता हो गया है. इस सीजफायर समझौते के तहत हमास ने अपने पास कैदी बनाए गए 20 जीवित बंधकों को रिहा कर दिया जबकि इजरायल ने 2088 फिलिस्तीनी कैदियों को आजाद किया है. दोनों तरफ जश्न का माहौल है. लेकिन इन सबसे दूर नेपाल का एक परिवार आज आंसूओं में डूबा हुआ है. हमास ने इजरायल को कई बंधकों के शव भी सौंपे हैं जो उसकी कैद में मर गए. इनमें नेपाली हिंदू छात्र बिपिन जोशी का शव भी शामिल है जिसे हमास ने 738 दिन पहले बंधक बना लिया था. अब शव के आने के बाद बिपिन जोशी के परिवार की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है.

इजरायल में नेपाल के राजदूत धन प्रसाद पंडित ने नेपाली मीडिया आउटलेट रिपब्लिका से पुष्टि की कि जोशी का पार्थिव शरीर सोमवार देर रात तेल अवीव आ रहा था. राजदूत पंडित ने कहा, "बिपिन जोशी का शव हमास द्वारा इजरायली अधिकारियों को सौंप दिया गया और उसे तेल अवीव ले जाया जा रहा है." 

इजरायली सेना के प्रवक्ता एफी डेफ्रिन ने भी पुष्टि की कि हमास ने जोशी समेत चार बंधकों के शव इजरायल की कस्टडी में लौटा दिए हैं. बिपिन जोशी का अंतिम संस्कार नेपाली दूतावास की मदद से इजरायल में ही किया जाएगा और उनकी अस्थियों को नेपाल भेजा जाएगा. लेकिन इनसे पहले शव की पहचान पुख्ता करने के लिए उसका DNA टेस्ट किया जाएगा.

नेपाल के एक छोटे शहर से हमास की कैद में कैसे पहुंचा बिपिन

नेपाल के एक छोटे से शहर से हमास के कैद तक जोशी की यात्रा सितंबर 2023 में शुरू हुई. बिपिन गाजा सीमा के पास मौजूद किबुत्ज अलुमिम में एक कृषि अध्ययन और कार्य कार्यक्रम (एग्रीकल्चर स्टडी एंड वर्क प्रोग्राम) के लिए 16 साथी छात्रों के साथ शामिल हुए. इस प्रोग्राम का उद्देश्य इजरायल में खेती कैसे होती है, उसकी व्यावहारिक ट्रेनिंग लेनी. यह युवा छात्रों के लिए जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है.

लेकिन 7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने दक्षिणी इजरायल पर बड़े पैमाने पर हमला कर दिया. सायरन बजने लगा और छात्रों ने एक तहखाने (बॉम्ब शेल्टर) में शरण ले ली. कुछ ही देर बाद, गोलीबारी और विस्फोट शुरू हो गए. हमास के आतंकवादियों ने इन शेल्टर्स में ग्रेनेड फेंके और एक में वो फट गया. इससे कई छात्र घायल हो गए, लेकिन जोशी ने हिम्मत दिखाई और दूसरे ग्रेनेड को पकड़ लिया, विस्फोट होने से पहले ही उसे बाहर फेंक दिया, जिससे लोगों की जान बच गई.

बाद में उसे हमास के बंदूकधारियों ने पकड़ लिया और गाजा ले गए. इसके बाद के दिनों में, इजरायली सेना द्वारा जारी किए गए वीडियो फुटेज में जोशी को गाजा के शिफा हॉस्पिटल में घसीटते हुए दिखाया गया और उसी समय उन्हें आखिरी बार जीवित देखा गया था. उनके दोस्त और परिवार उनकी सुरक्षित वापसी की आशा में लगे रहे. उनकी मां और बहन बिपिन की रिहाई की गुहार लगाने के लिए इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका तक गईं. आज जब उसका शव सामने आया तो परिवार की आखिरी उम्मीद भी टूट गई.

बिपिन जोशी 26 अक्टूबर को 25 साल के हो जाते.

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