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This Article is From Jun 14, 2022

ग्रेट मिशन ग्रुप ने गोमुख गंगाजल के लिए GI का दर्जा लेने का आवेदन किया

गैर-सरकारी संगठन (NGO) ग्रेट मिशन ग्रुप सोसायटी (GMGS) ने चेन्नई स्थित जीआई पंजीयक कार्यालय में गोमुख गंगाजल के लिये भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का दर्जा हासिल करने को आवेदन दिया है.

ग्रेट मिशन ग्रुप ने गोमुख गंगाजल के लिए GI का दर्जा लेने का आवेदन किया
हिंगमायर ने कहा कि दुनिया को गोमुख गंगाजल के महत्व और इसके अनूठे गुणों को जानना चाहिए
जिनेवा:

गैर-सरकारी संगठन (NGO) ग्रेट मिशन ग्रुप सोसायटी (GMGS) ने चेन्नई स्थित जीआई पंजीयक कार्यालय में गोमुख गंगाजल के लिये भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का दर्जा हासिल करने को आवेदन दिया है.  इस पहल का मकसद गंगाजल की विशेषताओं को दुनिया में बढ़ावा देना है.  किसी उत्पाद को जीआई दर्जा मिलना यह बताता है कि संबंधित वस्तु किसी खास भौगोलिक क्षेत्र की है और उसकी वजह से लोगों के बीच उस उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर एक भरोसा होता है. इस उत्पाद को जीआई दर्जा मिलने के बाद कोई दूसरा व्यक्ति या कंपनी उसी नाम से वह उत्पाद नहीं बेच सकती है.  यह दर्जा 10 साल के लिये वैध है.  

उसके बाद इसका नवीनीकरण कराया जा सकता है.  इसके अलावा जीआई पंजीकरण से उत्पाद को कानूनी संरक्षण मिलता है और इसके अनधिकृत लाभ पर अंकुश लगता है.  साथ ही निर्यात को बढ़ावा मिलता है. एनजीओ जीएमजीएस के संस्थापक और चेयरमैन गणेश हिंगमायर ने दावा किया कि वैज्ञानिक शोध ने साबित कर दिया है कि गोमुख गंगाजल का पानी औषधीय गुणों के मामले में अद्वितीय है.  उन्होंने कहा कि कई वैज्ञानिक शोध और अध्ययन हैं, जिसने इस पानी की विशिष्टता को साबित किया है.  विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में भाग लेने के लिये यहां आये हिंगमायर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर ऑस्ट्रेलिया की मार्गरेट और हेस्टिंग्स जैसी नदियों को जीआई का दर्जा मिला हुआ है. 

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां इसकी घोषणा कर रहे हैं.  हम इसके जरिये विश्व व्यापार संगठन को बताना चाहते हैं कि भारत हमेशा डब्ल्यूटीओ और नियम-आधारित व्यापार मानदंडों का समर्थन करता है.  भारत में जीआई कानून डब्ल्यूटीओ के ट्रिप्स समझौते की तर्ज पर बनाया गया था.  इस बड़े वैश्विक मंच पर गोमुख गंगाजल के महत्व को लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है. '' भारत की आधिकारिक वेबसाइट ‘इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया' के अनुसार महाराष्ट्र के इस एनजीओ ने प्राकृतिक वस्तुओं की श्रेणी के तहत दो मई, 2022 को आवेदन जमा किया है. 

हिंगमायर ने कहा कि दुनिया को गोमुख गंगाजल के महत्व और इसके अनूठे गुणों को जानना चाहिए तथा जीआई दर्जे से इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में मदद मिलेगी.  भारत के अबतक जिन उत्पादों को जीआई दर्जा मिला है, उनमें बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, मैसूर सिल्क, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग, लखनऊ जरदोजी आदि शामिल हैं. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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