जर्मनी अब एस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca) की कोरोनावायरस (Coronavirus) वैक्सीन सिर्फ 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को देगा. जर्मनी सरकार ने ब्लड क्लॉटिंग (खून के थक्के जमने) के कई गंभीर केस सामने आने के बाद मंगलवार को AstraZeneca वैक्सीन का इस्तेमाल 60 वर्ष से कम आयु के लोगों पर किए जाने पर पाबंदी लगा दी.
जर्मनी के 16 राज्यों के मंत्रियों तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा कि 60 वर्ष से कम आयु के लोग वैक्सीन के बारे में 'वैक्सीन लगा रहे डॉक्टर से सलाह-मशविरा करने और स्वयं खतरे का विश्लेषण करने के बाद' खुद ही फैसला कर सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तथा यूरोपीय यूनियन (EU) की निगरानी रखने वाली संस्था ने AstraZeneca वैक्सीन को कतई सुरक्षित बताया है, लेकिन खून के थक्के जमने के डर के चलते कई देश उस पर पाबंदी लगा चुके हैं.
जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के मुताबिक, हालिया हफ्तों में AstraZeneca वैक्सीन लगाए गए लोगों में विशेषज्ञों ने 'थ्रॉम्बोसिस के बेहद दुर्लभ, परंतु काफी गंभीर मामले' दर्ज किए, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.
STIKO के नाम से जानी जाने वाली जर्मनी की वैक्सीन कमीशन ने मंगलवार को सिफारिश की थी कि वैक्सीन लेने वाले कम उम्र के लोगों में 'थ्रॉम्बोसिस के दुर्लभ, परंतु काफी गंभीर मामलों' के फिलहाल उपलब्ध आंकड़ों की वजह से 60 वर्ष से कम आयु के लोगों पर AstraZeneca वैक्सीन का इस्तेमाल रोक दिया जाए.
STIKO अप्रैल के अंत तक एक और सिफारिश कर सकती है, जिसमें बताया जाएगा कि 60 वर्ष से कम आयु के उन लोगों के साथ कैसे आगे बढ़ा जाए, जिन्हें वैक्सीन का पहला डोज़ दिया जा चुका है.
इस निर्णय के होने तक मंत्रियों ने कहा कि जिन लोगों को दूसरी डोज़ दिया जाना शेष है, वे अपने डॉक्टर से मंज़ूरी लेकर ऐसा कर सकते हैं, या STIKO की अगली सिफारिश का इंतज़ार कर सकते हैं.
एंग्लो-स्वीडिश लैबोरेटरी द्वारा तैयार की गई वैक्सीन के लिए जर्मनी में लागू की गई ये पाबंदियां ताज़ातरीन झटका हैं.
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