टोक्यो:
जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टर संख्या दो में मौजूद पानी में रेडियोधर्मी पदार्थों की मात्रा सामान्य स्तर की तुलना में एक करोड़ गुना ज्यादा पाई गई है। साथ ही संयंत्र के करीब समुद्र में इन हानिकारक तत्वों की मात्रा सामान्य से 1,850 गुना ज्यादा हो गई है। एक वेबसाइट के मुताबिक संयंत्र में रेडिएशन बढ़ने से यहां आपात कार्य में जुटे कर्मचारियों को हटा लिया गया है। संयंत्र के भीतरी कवच को पिघलने से बचाने के लिए इमारतों पर पानी डालने का काम भी स्थगित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का कहना है कि परमाणु संयंत्र का संकट महीनों तक जारी रह सकता है। माना जा रहा है कि संयंत्र के छह में से किसी एक रिएक्टर से रेडियोधर्मी पदार्थों का रिसाव हो रहा है लेकिन अभी इस रिसाव की स्पष्ट जगह का पता नहीं चल पाया है। रिएक्टर संख्या दो के तल पर मौजूद पानी में रेडियोधर्मी विकिरण की मात्रा 1,000 मिलीसीवर्ट प्रति घंटा पाई गई है जो सामान्य रूप से संचालित संयंत्र की तुलना में एक करोड़ गुना ज्यादा है। संयंत्र संचालक कम्पनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कम्पनी (टेप्को) की पारदर्शिता के अभाव और विस्तृत सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए आलोचना हो रही है। राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि फुकुशिमा संयंत्र की संचालक कम्पनी ने कर्मचारियों के कपड़ों सहित सुरक्षा मानकों में कई गलतियां की हैं। जापान सरकार के प्रवक्ता यूकियो इनादो ने शनिवार को कहा कि टेप्को को ज्यादा पारदर्शी रुख अपनाना चाहिए। गुरुवार को संयंत्र में तीन कर्मचारियों के रेडिएशन की चपेट में आकर जलने के बाद उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा, "हम टेप्को से अपील करते हैं कि वह सरकार को शीघ्रता से सूचनाएं उपलब्ध कराए।" संयंत्र को ठंडा रखने के लिए अब इसमें समुद्री पानी के बजाय साफ पानी डाला जाएगा। इसके लिए अमेरिका पांच लाख गैलन साफ पानी का सातवां बेड़ा भेज रहा है। दूसरी ओर जापान में 11 मार्च को आए भूकम्प और सुनामी से मरने वाले लोगों की संख्या 10,489 हो गई है और 16,600 लोग अब भी लापता हैं।
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फुकुशिमा प्लांट, संयंत्र का काम बंद