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This Article is From Feb 26, 2024

नौकरी का झांसा देकर रूस ले गए, फिर यूक्रेन के खिलाफ जंग में झोंका

भारतीय युवक नौकरी का झांसा देने वालों के शिकार हो गए हैं. उनको रूस में अच्छी नौकरी के बहाने बुलाया गया और यूक्रेन के साथ होने वाले युद्ध के लिए भेज दिया गया.

नौकरी का झांसा देकर रूस ले गए, फिर यूक्रेन के खिलाफ जंग में झोंका
नई दिल्ली:

रूस में नौकरी करने गए कई भारतीय युवक रूस-यूक्रेन युद्ध में फंस गए हैं. झांसा देकर इनको रूसी सेना के सहायक के तौर पर नौकरी देने के लिए बुलाया गया, लेकिन फिर इनको यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के मोर्चों पर भेज दिया गया. भारत सरकार इन सभी को सुरक्षित वापस लाने की पूरी कोशिश कर रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने रूस में फंसे भारतीयों को लेकर एक बयान जारी किया है. इसमें उन ख़बरों को ग़लत बताया गया है जिनमें ये कहा जा रहा था कि मॉस्को स्थिति भारतीय दूतावास से उन भारतीयों को मदद नहीं मिल रही है.

बयान कहा गया है कि हमने उन भारतीयों से जुड़ी कुछ ग़लत मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं, जिन्होंने रूस की सेना से डिस्चार्ज होने के लिए मदद की गुहार लगाई है. भारतीय दूतावास की जानकारी में ऐसे जितने भी मामले लाए गए, उनको रूस की सरकार के साथ पूरी मज़बूती से उठाया गया. जिन मामलों को विदेश मंत्रालय की जानकारी में लाया गया, उनको नई दिल्ली में रूस के दूतावास के सामने रखा गया. इसके नतीजे के तौर पर कई भारतीयों को डिस्चार्ज कर दिया गया है. रूसी सेना से डिस्चार्ज होने के सभी मामलों को हम रूसी सरकार के साथ उठाने को कृतसंकल्प हैं और ये हमारी पहली प्राथमिकता भी है.

विदेश मंत्रालय के इस बयान से इस बात की तस्कीद होती है कि कई भारतीयों को रूस की सेना में शामिल होने को मजबूर किया गया. इससे पहले विदेश मंत्रालय ये कह चुका है कि ऐसे हर भारतीय को वापस लाने के लिए रूस की ऑथोरिटी के साथ बातचीत की जा रही है, जिनको रूस की सेना के साथ काम करने को मजबूर कर दिया गया है.

दरअसल कई भारतीय युवक नौकरी का झांसा देने वालों के शिकार हो गए हैं. उनको रूस में अच्छी नौकरी के बहाने बुलाया गया. हर एक से तीन लाख रुपये तक लिए गए. ऐसे कुल कितने भारतीय हैं इसकी पुख़्ता या आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन अपुष्ट रिपोर्टस के मुताबिक़ ये 100 के क़रीब हो सकते हैं. ये तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों से बताए गए हैं.

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पिछले साल दिसंबर में जब वे रूस पहुंचे तो पहले उनको रूसी सेना की सहायता के जुड़े काम में लगाने की बात की गई, लेकिन फिर मोर्चे पर लड़ने के लिए भेज दिया गया. इस जानकारी के सामने आने के बाद विदेश मंत्रालय ने ये भारतीयों को ये सलाह भी दी है कि ऐसी किसी नौकरी के चक्कर में पड़ने से बचें.

ये भी ख़बर आयी है कि इनमें गुजरात से गए 23 साल के एक भारतीय की मौत भी हो गई है. 21 फरवरी को मौत तब हुई, जब दोनेस्क क्षेत्र में रूस यूक्रेन सीमा पर यूक्रेन ने मिसाइल से हमला किया. उसके साथ एक और भारतीय था जो बाल-बाल बच गया और उसी के ज़रिए ये जानकारी सामने आयी है.

यूक्रेन रूस युद्ध के बीच भारत अपना संतुलित रुख़ लेकर चल रहा है. रूस के साथ भारत की पुरानी दोस्ती तो है ही, भारत का यूक्रेन के साथ भी मज़बूत रिश्ता है. पीएम नरेन्द्र मोदी रूस के राष्ट्रपति पुतिन से कह चुके हैं कि ये युद्ध का काल नहीं है. रूस की तरफ़ से युद्ध में भारतीयों को झोंके जाने से ग़लत संदेश जाएगा. ये भी वजह है कि भारत सरकार पूरी मुस्तैदी दिखा रही है और रूस की सरकार भी भारत के कहने पर भारतीयों को उनकी ड्यूटी से डिस्चार्ज करता जा रहा है.

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