अंकारा:
अमेरिका में निर्वासित जीवन बिता रहे तुर्की के धर्मगुरु फतुल्ला गुलेन ने आशंका जताई है कि ऐसा भी हो सकता है कि तुर्की में शुक्रवार रात हुई तख्तापलट की कोशिश का तानाबाना खुद राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने ही बुना हो।
एफे न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के पेन्सिलवेनिया राज्य में सेयलॉर्सबर्ग स्थित अपने आवास से जारी बयान में गुलेन ने कहा, 'इसकी संभावना है कि तख्तापलट के प्रयास फर्जी हों।'
उन्होंने तुर्की में तख्तापलट की कोशिश में अपनी किसी भी संलिप्तता से इनकार किया, जिसमें 160 लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर 1990 के दशक में इसके (तख्तापलट) भुक्तभोगी रहे हैं और इसकी वजह से उन्होंने बहुत पीड़ा झेली।
इससे पहले तुर्की सरकार ने तख्तापलट की कोशिश को विफल किए जाने की घोषणा करते हुए इसकी साजिश का आरोप गुलेन पर लगाया था और कहा था कि विद्रोही सैनिकों के गुट को पेन्सिलवेनिया से आदेश मिल रहे थे।
तुर्की सरकार ने अमेरिका से उन्हें 'वापस भेजने' के लिए भी कहा है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने शनिवार को अमेरिका से गुलेन को संरक्षण नहीं देने का आग्रह किया था। लेकिन, अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने दावा किया कि उनके देश को तुर्की की ओर से न तो प्रत्यर्पण के लिए कोई आवेदन मिला है और न ही घटना में गुलेन की संलिप्तता को लेकर कोई ठोस सबूत दिए गए हैं।
गुलेन साल 2013 से ही अमेरिका में स्व-निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। कभी अपने साथी रहे गुलेन पर राष्ट्रपति एर्दोगन ने अपनी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इसके बाद से ही तुर्की सरकार ने धर्मगुरु को सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में डाल रखा है और न्यायिक सुनवाई के लिए उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एफे न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के पेन्सिलवेनिया राज्य में सेयलॉर्सबर्ग स्थित अपने आवास से जारी बयान में गुलेन ने कहा, 'इसकी संभावना है कि तख्तापलट के प्रयास फर्जी हों।'
उन्होंने तुर्की में तख्तापलट की कोशिश में अपनी किसी भी संलिप्तता से इनकार किया, जिसमें 160 लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर 1990 के दशक में इसके (तख्तापलट) भुक्तभोगी रहे हैं और इसकी वजह से उन्होंने बहुत पीड़ा झेली।
इससे पहले तुर्की सरकार ने तख्तापलट की कोशिश को विफल किए जाने की घोषणा करते हुए इसकी साजिश का आरोप गुलेन पर लगाया था और कहा था कि विद्रोही सैनिकों के गुट को पेन्सिलवेनिया से आदेश मिल रहे थे।
तुर्की सरकार ने अमेरिका से उन्हें 'वापस भेजने' के लिए भी कहा है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने शनिवार को अमेरिका से गुलेन को संरक्षण नहीं देने का आग्रह किया था। लेकिन, अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने दावा किया कि उनके देश को तुर्की की ओर से न तो प्रत्यर्पण के लिए कोई आवेदन मिला है और न ही घटना में गुलेन की संलिप्तता को लेकर कोई ठोस सबूत दिए गए हैं।
गुलेन साल 2013 से ही अमेरिका में स्व-निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। कभी अपने साथी रहे गुलेन पर राष्ट्रपति एर्दोगन ने अपनी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इसके बाद से ही तुर्की सरकार ने धर्मगुरु को सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में डाल रखा है और न्यायिक सुनवाई के लिए उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
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