वाशिंगटन:
भारत सरकार द्वारा ईरान से तेल खरीदना जारी रखने का फैसला करने के बाद एक पूर्व अमेरिकी राजनयिक ने भारत की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया और कहा कि भारत का फैसला अमेरिका के मुंह पर तमाचा है।
समसामयिक विषयों पर केंद्रित पत्रिका डिप्लोमैट में एक वैचारिक लेख में अमेरिका के पूर्व उप विदेश मंत्री निकोलस बर्न्स ने लिखा, "ईरान के मुद्दे पर भारत का वैश्विक लीक से हटकर फैसला करना सिर्फ अमेरिका के मुंह पर तमाचा ही नहीं है, बल्कि यह उसकी नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़ा करता है।"
बर्न्स ने भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते में मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, "ईरान से तेल खरीदना जारी रखने के भारत के फैसले से ईरान को परमाणु मुद्दे पर वैश्विक समुदाय से अलग थलग करने की अमेरिकी कोशिश प्रभावित हुई है।" उन्होंने कहा, "यही नहीं इससे अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों के भारत से रणनीति सम्बंध बनाने की कोशिश भी प्रभावित हुई है।"
उन्होंने भारत के इस तर्क पर ऐतराज जताया कि भारत अपने तेल आयात का 12 फीसदी हिस्सा ईरान से लेता है और ईरान से सम्बंध तोड़ने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा, "इससे विश्व में भारत की भूमिका पर भी सवाल खड़ा होता है। कहा जाता है कि भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। लेकिन इसकी सरकार इसके अनुरूप व्यवहार नहीं करती है।" उन्होंने कहा, "यह अपने आस पास के क्षेत्रों पर ही अधिक ध्यान देती है और इस सीमा से बाहर नहीं निकलती है।"
समसामयिक विषयों पर केंद्रित पत्रिका डिप्लोमैट में एक वैचारिक लेख में अमेरिका के पूर्व उप विदेश मंत्री निकोलस बर्न्स ने लिखा, "ईरान के मुद्दे पर भारत का वैश्विक लीक से हटकर फैसला करना सिर्फ अमेरिका के मुंह पर तमाचा ही नहीं है, बल्कि यह उसकी नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़ा करता है।"
बर्न्स ने भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते में मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, "ईरान से तेल खरीदना जारी रखने के भारत के फैसले से ईरान को परमाणु मुद्दे पर वैश्विक समुदाय से अलग थलग करने की अमेरिकी कोशिश प्रभावित हुई है।" उन्होंने कहा, "यही नहीं इससे अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों के भारत से रणनीति सम्बंध बनाने की कोशिश भी प्रभावित हुई है।"
उन्होंने भारत के इस तर्क पर ऐतराज जताया कि भारत अपने तेल आयात का 12 फीसदी हिस्सा ईरान से लेता है और ईरान से सम्बंध तोड़ने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा, "इससे विश्व में भारत की भूमिका पर भी सवाल खड़ा होता है। कहा जाता है कि भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। लेकिन इसकी सरकार इसके अनुरूप व्यवहार नहीं करती है।" उन्होंने कहा, "यह अपने आस पास के क्षेत्रों पर ही अधिक ध्यान देती है और इस सीमा से बाहर नहीं निकलती है।"