विज्ञापन
This Article is From Dec 12, 2011

फई के आरोपों को भारत सरकार ने नकारा

वाशिंगटन: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने की बात कबूल करने वाले कश्मीरी अलगावादी गुलाम नबी फई ने दावा किया है कि उसने बीते दो दशकों के दौरान भारत सरकार के कई मंत्रियों से नियमित तौर पर मुलाकात की थी और यहां भारतीय दूतावास के साथ संवाद का एक माध्यम भी बना लिया था। बीते सप्ताह 62 साल के फई ने अमेरिका की एक अदालत में आईएसआई का एजेंट होने का आरोप स्वीकार कर लिया। उसने एक बयान में कहा है कि भारत के मंत्रियों और अधिकारियों से मिलना नई दिल्ली के साथ संवाद कायम करने की रणनीति का हिस्सा था। फई ने अपने बयान को कश्मीर मेरे लिए क्यों महत्वपूर्ण है शीर्षक दिया है। उसका दावा है, बीते 20 वर्षों के दौरान मैंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार यूसुफ बक और वर्ल्ड कश्मीर फ्रीडम मूवमेंट के अध्यक्ष रहे मरहूम अयूब ठुकेर के साथ चंद्रशेखर, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल के कई सदस्यों से मुलाकात की थी। फई ने समाचार एजेंसी पीटीआई की ओर से ईमेल के जरिए भेजे गए सवाल का जवाब नहीं दिया। इस सवाल में उन भारतीय मंत्रियों और अधिकारियों के नाम मांगे गए थे, जिनसे आईएसआई के इस एजेंट ने कथित तौर पर मुलाकात की थी। फई ने दावा किया, बीते 11 वर्षों के दौरान मैंने भारतीय दूतावास के चार अलग-अलग अधिकारियों से मुलाकात की थी। ये अधिकारी एक के बाद एक यहां तैनात हुए थे और इन लोगों ने अपने जाने की स्थिति में नए अधिकारी से मेरा परिचय करवाया। वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने भी फई के दावे से जुड़े पीटीआई के सवाल का जवाब नहीं दिया। दूतावास से ईमेल के जरिए सवाल पूछा गया था कि क्या फई का दावा सही है और अगर यह सत्य है तो किन अधिकारियों ने उससे मुलाकात की थी? फई के मुताबिक यह हमेशा से उसकी आदत रही है कि भारतीय दूतावास के साथ संवाद का माध्यम बनाकर रखा जाए। उसने कहा, मैं 1999 से भारतीय दूतावास के अधिकारियों से समय-समय पर मिलता रहा था। यह मुलाकात हर महीने और कभी-कभी दो महीने पर होती थी। मार्च, 2006 से हम हर महीने मिलते थे और कई बार महीने में दो बार भी मुलाकात हो जाती थी। कश्मीर पर हम जब भी संगोष्ठि अथवा सम्मेलन का आयोजन करते थे तो मैं भारतीय राजदूत को बतौर वक्ता उपस्थित होने का निमंत्रण देता था। फई ने कहा, भारतीय दूतावास के अधिकारियों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और पहले से ही ब्यौरा हासिल करने की मुझे आदत थी। भारतीय राजदूत के लिए निमंत्रण पत्र मैं उस अधिकारी को देता था, जिससे अक्सर मेरी मुलाकात किसी सार्वजनिक कैफेटएरिया में होती थी। फई ने कहा, एक भारतीय अधिकारी ने मुझे इस साल 18 अथवा 19 जुलाई को फोन किया था। उसी दिन मेरी गिरफ्तारी हुई थी। उसने वायसमेल के जरिए संदेश छोड़ा था कि हमें जरूर मिलना चाहिए। इस संदेश को मैं 10 दिन बाद सुन सका क्योंकि इतने दिनों बाद ही मैं रिहा हुआ था। कश्मीरी अलगाववादी का मानना है कि उसने निजी तौर पर गलतियां की हैं और उसे इसका गहरा अफसोस भी है। उसका दावा है कि वह कश्मीर की आजादी के लिए लड़ रहा था, हालांकि अदालत में इसके उलट उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने का आरोप स्वीकार किया है।वर्जीनिया की एक अदालत में बीते सप्ताह फई ने स्वीकार किया उसने आईएसआई से गोपनीय माध्यमों से धन हासिल किए, जिससे अमेरिकी सरकार को दो से चार लाख डॉलर का नुकसान हुआ। वह कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल नामक संगठन चलाता था।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
गुलाम, फई, अमेरिका, आईएसआई, Fai, India, US, ISI
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com