इजरायल और फिलिस्तीनी सगंठन हमास के बीच चल रहे संघर्ष (Israel Palestine Conflict) के चौथे दिन बुधवार को एस्केलॉन शहर के एक होटल में हमास का रॉकेट गिरा था. इस हमले के बाद होटल को काफी नुकसान पहुंचा है. इजरायल-हमास की जंग की कवरेज के लिए NDTV की टीम ग्राउंड पर है. NDTV की टीम (NDTV reporting in Israel) इजराइल के एस्केलॉन में जिस होटल में रुकी थी, वहीं पर रॉकेट से हमला किया गया. हालांकि, इस हमले में NDTV के दोनों जर्नलिस्ट सुरक्षित हैं. हमले के दौरान उन्होंने बंकर में छिपकर अपनी जान बचाई. आइए जानते हैं कि आखिर एस्केलॉन के होटल में हमास का रॉकेट क्यों गिरा?
दरअसल, दशकों से चल रहे हमास के रॉकेट हमले से परेशान इजरायल ने इसे रोकने के लिए आयरम डोम नाम की एयर डिफेंस सिस्टम बनायी. ये अमेरिका की पेट्रियट मिसाइल की तर्ज पर भी काम करता है. इसे 2011 में पहली बार इस्तेमाल किया गया. ये हर मौसम में काम कर सकता है.
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कैसे आया 'आयरन डोम' का विचार
- 2006 में इजरायल-लेबनान युद्ध के दौरान 4000 रॉकेट उत्तरी इजरायल पर दागे गए थे.
- वहीं, 2000 और 2007 में गाजा की ओर से भी दक्षिणी इजरायल पर भी 4000 रॉकेट हमले किए गए थे.
- इन हमलों से बचने के लिए इजरायल को ऐसी तकनीक का विचार आया, जिसमें रॉकेट हमले की पहचानकर उसे नाकाम किया जा सके.
'आयरन डोम' क्या है?
- इसे इजरायल की सरकारी रक्षा एजेंसी 'राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स' ने डेवलप किया गया है.
- इसे रक्षा मिसाइल बैटरी भी कहते हैं. पूरे इजरायल में इस तरह की सात रक्षा मिसाइल बैटरी लगी हुई है.
- हर बैटरी इंटरसेप्ट मिसाइल क्षमता से लैस है. इसे सिक्योर्ड वायरलेस कनेक्शन के जरिए ऑपरेट किया जाता है.
- आयरन डोम में एक रडार यूनिट, मिसाइल कंट्रोल यूनिट और कई लॉन्चर्स शामिल हैं.
- यह डिफेंस सिस्टम हर मौसम में काम करने में सक्षम है.
-70 किमी के दायरे में आयरन डोम से निकली एंटी मिसाइल हमास रॉकेट को हवा में नेस्तनाबूत कर देती है.
कैसे करता है काम?
-जैसे ही गाज़ा पट्टी से रॉकेट छोड़ा जाता है, तो इस पर नज़र रखने वाला आयरन डोम एक्टिव हो जाता है.
-इजरायल का रडार सिस्टम चालू हो जाता है. वह रॉकेट को ट्रैक करने लगता है.
-कंट्रोल सिस्टम ये देखता है कि रॉकेट इजरायल के किस इलाके में गिरेगा. जहां रॉकेट गिरेगा वहां आबादी रहती है या फिर वो बिना आबादी वाला इलाका है.
-टारगेट वाली जगह का आकलन करने के बाद आयरन डोम हरकत में आता है और इसका लॉन्चर तामिर मिसाइल छोड़ता है.
-अगर कंट्रोल रूम ये आकलन करता है कि रॉकेट किसी ऐसी जगह गिरेगा, जहां आबादी नहीं है, तो आयरन डोम उसे इंटरसेप्ट करने के लिए मिसाइल फायर नहीं करता.
-एक आयरन डोम के तामिर मिसाइल की कीमत 50 हज़ार अमेरिकी डॉलर होता है. ख़तरे वाले एक रॉकेट को हवा में नष्ट करने के लिए आयरन डोम से दो तामिर मिसाइल को छोड़ा जाता है. ये काफ़ी खर्चीला है. लिहाज़ा इसका इस्तेमाल जानमाल का नुकसान रोकने के लिए ही होता है.
-हालांकि, आयरन डोम इजरायल का मज़बूत सिस्टम माना जाता है. ये आकलन में कोई गलती नहीं करता. लेकिन जब सैकड़ों की तादाद में रॉकेट आ रहे हों तो फिर ख़तरे की आशंका बढ़ जाती है.
-मंगलवार को एस्केलॉन के होटल में जो रॉकेट गिरा, वह उन सैकड़ों रॉकेट में से एक था, जिसे गाज़ा पट्टी से एक साथ छोड़ा गया था. सवाल है कि ये इंटरसेप्ट क्यों नहीं हुआ? ऐसा तो हो नहीं सकता कि कंट्रोल रूम से आकलन में गलती हुई हो कि यह ये रिहायशी इलाके पर नहीं गिरेगा?
-संभव है कि भारी तादाद में छोड़े गए रॉकेटों में से इस एक ने आयरन डोम को धत्ता बता दिया और ये एस्केलॉन के होटल पर आ गिरा.
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