यूरोपीय देशों की मुद्रा यूरो रिकॉर्ड दो दशकों में सबसे बदतर स्थिति में पहुंच गई है. आलम यह है कि डॉलर और यूरो की कीमत बराबर हो गई है. रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर तेल-गैस की ऊंची कीमतों के कारण रिकॉर्ड महंगाई का सामना कर रहे यूरोप में यह नए संकट की आहट साबित हो सकता है. यूरोपीय संघ की आधिकारिक मुद्रा यूरो दो दशकों में पहली बार डॉलर की बराबरी पर आ गई है. जबकि इसकी कीमत हमेशा डॉलर से ज्यादा रही है. यूरो में यह गिरावट अमेरिका में महंगाई 41 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बीच आई है. इस कारण अमेरिका में ब्याज दर में और बढ़ोतरी के आसार हैं, जिससे डॉलर को मजबूती मिलेगी.
बुधवार को यूरो 0.4% की गिरावट के साथ 0.9998 डॉलर के निचले स्तर को छू गया. जून में अमेरिकी मुद्रास्फीति में पूर्वानुमान से अधिक तेजी आने के बाद नवीनतम लेग लोअर आया है. यूरो दोपहर 2:10 बजे तक लगभग $1.002 पर व्यापार करने के लिए वापस लौट आया.फरवरी में यूरो 1.15 डॉलर के करीब कारोबार कर रहा था, लेकिन बुधवार को यूरो 0.4% की गिरावट के साथ 0.9998 डॉलर के निचले स्तर को छू गया. यह देखते हुए मूल्यह्रास अविश्वसनीय रूप से तेज़ रहा है.
कुछ ईसीबी नीति निर्माताओं ने पहले ही यूरो में कमजोरी का संकेत दिया था. खासकर जब मुद्रास्फीति की बात आती है. इससे पहले फ्रेंकोइस विलेरॉय डी गलहौ ने कहा था कि केंद्रीय बैंक उपभोक्ता कीमतों पर इसके प्रभाव के कारण यूरो में गिरावट आ रही है. यूरो दोहरे मुद्रास्फीति-मंदी के खतरे के अलावा, ईसीबी संप्रभु उधार लागत के जोखिम से भी निपट रहा है.
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