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This Article is From May 16, 2015

मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मुर्सी को जेल तोड़ने की घटनाओं के मामले में सजा-ए-मौत

मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मुर्सी को जेल तोड़ने की घटनाओं के मामले में सजा-ए-मौत
काहिरा: मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी, मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख मोहम्मद बादी और 100 से अधिक इस्लामियों को वर्ष 2011 के विद्रोह के दौरान हुईं जेल तोड़ने की घटनाओं के सिलसिले में एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई।

मुर्सी और ब्रदरहुड के नेताओं- बादी, मोहम्मद साद एल कतातनी, एसाम एल एरियन, मोहम्मद एल बेलतागी और सफावत हेगजी सहित 130 सह प्रतिवादियों पर इस मामले में आरोप लगाया गया था।

जब न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया तो उस समय 63 साल मुर्सी काहिरा फौजदारी अदालत में पिजड़ेनुमा कठघरे में पेश हुए। अदालत ने मुर्सी, मुस्लिम ब्रदरहुड के शीर्ष मार्गदर्शक बादी तथा मुस्लिम ब्रदरहुड के 104 नेताओं को मामले में मौत की सजा सुनाई।

न्यायाधीश ने जब अपना फैसला बढ़ा तो पूर्व राष्ट्रपति ने इसके विरोध में अपनी मुट्ठियां उठाईं।

मुर्सी के खिलाफ आज के मृत्युदंड फैसले से मिस्र के इतिहास में मौत की संभावना का सामना करने वाले वह पहले राष्ट्रपति बन गए हैं, बशर्ते की अदालत दो जून को अपने प्रारंभिक फैसले पर मुहर लगाए या फिर उनकी प्रस्तावित अपील खारिज हो जाए। आज जिन लोगों को सजा सुनायी गई, उनमें से कई गैरहाजिर थे।

उन पर कैदियों को जेलतोड़कर निकलने की इजाजत देने के दौरान जेल भवन को नुकसान पहुंचाने, उसमें आग लगाने, हत्या, हत्या के प्रयास, जेल के हथियारों को लूटने का आरोप था।

यह घटना जनवरी, 2011 की क्रांति के दौरान हुई थी जब 20,000 से अधिक कैदी मिस्र की तीन जेलों से भाग गए थे। इस क्रांति के चलते मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को अपदस्थ होना पड़ा था।

अदालत ने मुस्लिम ब्रदरहुड के सर्वोच्च मार्गदर्शक के डिप्टी खिरात इल शातेरर समेत ब्रदरहुड के 17 नेताओं को जासूसी के एक अलग मामले में मौत की सजा सुनाई।

मुर्सी भी जासूसी के मामले में 35 अन्य के साथ आरोपी हैं, लेकिन अदालत मुर्सी और बाकियों के लिए बाद में फैसला सुनाएगी।

जासूसी के मामले में इस्लामियों पर मिस्र में अस्थिरता फैलाने के लिए फलस्तीन के इस्लामी संगठन हमास, लेबनान के हिज्बुल्ला और ईरान के रिवोल्युशनरी गार्ड के साथ साजिश रचने का आरोप है। इन दोनों मामलों में फैसले प्रमुख मुफ्ती के पास भेजे जाएंगे जो मिस्र के कानून के अनुसार सभी मृत्युदंडों की समीक्षा करेंगे लेकिन उनका फैसला बाध्यकारी नहीं है।

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