इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच 7 अक्टूबर से जंग (IsraelPalestineConflict) छिड़ी है. इजरायल और हमास (Hamas Group) एक-दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं. इजरायल गाजा पट्टी (Gaza Strip)में घुसकर हमास को खत्म करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए नॉर्थ गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों को महफूज ठिकानों पर जाने के लिए 24 घंटे की डेडलाइन दी गई है. इजरायल के ऑर्डर और जंग के हालातों के बीच लोग गाजा छोड़कर जाने को मजबूर हैं. कुछ लोगों ने इजरायल के आदेश पर अमल करते हुए गाजा छोड़ना शुरू भी कर दिया हैं.
गाजा के केंद्र के पास दो दिन पहले इजरायली हवाई हमले में मलबे में तब्दील हो गई एक इमारत के बाहर सड़क पर खड़े 20 वर्षीय मोहम्मद ने कहा, "ऐसी जिंदगी से बेहतर तो मौत है. हम गाजा में अपना घर-बार छोड़कर कहां जाएंगे? मैं यहीं पैदा हुआ हूं और यहीं मरूंगा. अपनी जमीन छोड़ना एक कलंक है."
इस बीच UN ने इजरायल के फैसले की आलोचना की है. UN के प्रवक्ता ने कहा- 'इस इलाके में 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. ये गाजा की आधी आबादी हैं. इन्हें इतने कम समय में वहां से हटने का आदेश देना, उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है. इससे मानवीय संकट पैदा होगा.'
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि इतनी बड़ी निकासी एक कठिन आदेश है, लेकिन वॉशिंगटन इजरायल के इस फैसले पर शक जाहिर नहीं करेगा.
उन्होंने कहा, "हम समझते हैं कि वे क्या करने की कोशिश कर रहे हैं. वे ऐसा क्यों करने की कोशिश कर रहे हैं. नागरिक आबादी को हमास से अलग करने की कोशिश करना, जो इजरायल का असली टारगेट है."
हमास के प्रतिद्वंद्वी फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास ने जॉर्डन में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से कहा कि गाजा में फिलिस्तीनियों का जबरन विस्थापन 1948 की दोहराव होगा. जब सैकड़ों हजारों फिलिस्तीनी भाग गए थे या उन्हें वहां से खदेड़ दिया गया था. अब इजराइल क्या है. अधिकांश गज़ावासी ऐसे शरणार्थियों के वंशज हैं. अब्बास ने गाजा में तुरंत सहायता की अनुमति देने की अपली की.धा
इस बीच हमास ने बताया है कि गाजा पर की गई इजरायल की एयरस्ट्राइक में 13 इजरायलियों की मौत हुई है. ये उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें हमास ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद बंधक बना लिया था. दूसरी तरफ, एश्केलोन में भारी गोलीबारी जारी है. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस जंग में अब तक 3700 लोग मारे जा चुके हैं.
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