इजरायली सेना का मकसद गाजा में घर-घर की तलाशी लेना और वहां छिपे हमास के लड़ाकों को खत्म करना है. इसके लिए इजरायली वायु सेना ने पहले ही एयर स्ट्राइक कर गाजा की कमर तोड़ दी है. वहीं, खाना-पानी, बिजली, फ्यूल और गैस की सप्लाई रोककर इजरायल ने गाजा को तरसा और तड़पा रहा है. हालांकि, इसके बाद भी इजरायली सेना के लिए गाजा में घुसकर जमीनी मिशन को अंजाम देना आसान नहीं बताया जा रहा है. दरअसल, गाजा पट्टी के सुरंगों की तुलना वियतनाम के सुरंगों से की जा रही है, जिस पर अमेरिका ने जबरदस्त आक्रमण किया था. हालांकि, 20 साल के युद्ध के बाद भी अमेरिका वियतनाम को नहीं जीत पाई है. क्योंकि अमेरिकी सेना इन सुरंगों को पार नहीं कर पाए थे. हमास ने गाजा में ऐसे ही सुरंगों का जाल बिछाया है.
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हमास की सुरंगें: 'गाजा मेट्रो'
2021 में इजरायल डिफेंस फोर्स ने दावा किया था कि हमास के 100 किमी से ज्यादा दूरी के सुरंग नेटवर्क को नष्ट कर दिया गया था. हमास नेता याह्या सिनवार ने तब दावा किया था कि गाजा में सुरंग नेटवर्क 500 किमी लंबा है और केवल 5 प्रतिशत ही डैमेज हुआ है. इसे आप दिल्ली के उदाहरण से समझ सकते हैं. पूरी दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क लगभग 392 किमी लंबा है. दिल्ली का आकार गाजा से चार गुना बड़ा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाजा में हमास ने सुरंगों का कितना विस्तार किया है.
रिहायशी इमारतों को निशाना बनाने पर वैश्विक आलोचना का जवाब देते हुए इजरायल ने बार-बार तर्क दिया है कि हमास के सदस्य रिहायशी इमारतों के नीचे बने सुरंगों में छिपे हुए हैं. 2007 में गाजा पट्टी पर कब्जा करने के बाद से हमास ने शहर के भीतर और गाजा-इजरायल सीमा के पार सुरंग नेटवर्क का विस्तार करने का काम किया है. इन सुरंगों का इस्तेमाल हमास अपने लड़ाकों, हथियारों और यहां तक कि अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी के लिए करता है. ये सुरंगें कहां से निकलती हैं और कहां खत्म होती हैं, उनका पता लगाना बेहद मुश्किल है. कई बार हमास आतंकी किसी घर से सुरंग खोदतें हैं, जो सीमा पार किसी दूसरे घर में खुलती है. ऐसे में ऊपर से भी उनकी निगरानी नहीं की जा सकती है.
इसी वजह से इजरायली सेना इन सुरंगों को 'गाजा मेट्रो' भी कहती है. इन सुरंगों के अंदर रोशनी का इंतजाम होता है. हथियारों और गोला-बारूद को छिपाने के लिए पर्याप्त जगह भी रहते हैं. बीते दिनों ऐसी सुरंगों का वीडियो सामने आया था. सुरंगों की दीवारें सीमेंट से बनी हैं.
7 अक्टूबर के हमलों में सुरंगों की भूमिका
7 अक्टूबर को हमास के चौंकाने वाले हमले में रॉकेट हमलों के साथ-साथ इन सुरंगों से भी हमले किए गए थे. यहां दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाने के लिए सेंसर लगाए गए हैं. ऐसा माना जाता है कि सुरंगों ने हमास के गुर्गों को बिना पता चले इसरायल में घुसने में अहम भूमिका निभाई.
इनमें से कुछ सुरंगें गाजा की सीमा से सीधे इजरायली समुदायों तक जाती हैं. इससे हमास के लड़ाकों को घुसपैठ करने, अपहरण करने और इजरायली नागरिकों पर हमला करने में मदद मिलती है. 30 फुट ऊंची है इजरायल के फेंसिंग
अब यहां एक बड़ा सवाल है. गाजा के साथ इजरायल की बाड़ 30 फुट ऊंची है, जिसमें अंडरग्राउंड कंक्रीट बैरियर हैं. पिर हमास के गुर्गे बिना पहचाने इजराइल में कैसे घुस गए? दरअसलस गाजा शहर के भीतर सीमा पार की सुरंगें अंडर डेवलप हैं. रीचमैन यूनिवर्सिटी की फैकल्टी मेंबर डॉ. डेफने रिचमोंड-बराक ने बीबीसी को बताया, "सीमा पार की सुरंगें अंडर डेवलप होती हैं. जिसका मतलब है कि उनमें बमुश्किल कोई किलेबंदी होती होगी. उन्हें एक ही मकसद के लिए खोदा जाता है. ये मकसद है इजरायली क्षेत्र पर हमला करना."
डेफने रिचमोंड-बराक कहती हैं, "अंदर की सुरंगें लंबी और ज्यादा व्यवस्थित हैं. हमास के सदस्य वहां छिपे हुए हैं. उनके पास कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर हैं, वे उनका इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन लाइनों के लिए करते हैं."
इनमें से ज्यादातर सुरंगें 1 मीटर चौड़ी और शायद 2.5 मीटर ऊंची हैं. इससे किसी व्यक्ति काफी मुश्किल से पार जा सकता है. कई मामलों में, ये सुरंगें गहराई तक उतरती हैं और सतह से 30 मीटर नीचे तक पहुंचती हैं. वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमास ने 2007 के बाद से 1.25 बिलियन डॉलर की लागत से 1,300 से अधिक सुरंगों का निर्माण किया है. यह पैसा उसे गाजा में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अलग-अलग देशों से दान के तौर पर मिला हुआ है.
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