कोलंबो में शुक्रवार को राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों (चोगम) का सम्मेलन औपचारिक तौर पर शुरू हो गया। इसके साथ ही श्रीलंका ने 53 देशों के इस राष्ट्रमंडल संगठन की अध्यक्षता ग्रहण कर ली। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की नाखुशी के बावजूद राष्ट्रमंडल में श्रीलंका के मानवाधिकार रिकार्ड पर चर्चा करने का फैसला लिया गया है।
श्रीलंका में युद्धग्रस्त रह चुके उत्तरी क्षेत्र के जाफना जाने पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के काफिले को तमिल प्रदर्शनकारियों द्वारा शुक्रवार को रोके जाने के बावजूद यह फैसला लिया गया है।
राष्ट्रमंडल के प्रवक्ता रिचर्ड उक्रू ने पहले दिन के सत्र के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि श्रीलंका के विवादित मानवाधिकार रिकार्ड पर राष्ट्रमंडल के प्रमुखों द्वारा चर्चा की जाएगी और चोगम के अंत में एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाएगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) का उद्घाटन राजपक्षे ने महारानी एलिजाबेथ के प्रतिनिधि प्रिंस चार्ल्स के साथ किया। महारानी एलिजाबेथ राष्ट्रमंडल की अध्यक्ष हैं। श्रीलंका 2014 तक राष्ट्रमंडल की अध्यक्षता करेगा और इसके बाद अध्यक्षता मॉरिशस को सौंप दी जाएगी। प्रिंस ऑफ वेल्स और उनकी पत्नी कैमिला, गुरुवार को श्रीलंका पहुंचे।
कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर और मॉरिशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने श्रीलंका के मानवाधिकारों की स्थिति के मद्देनजर सम्मेलन में हिस्सा न लेने का फैसला किया है।
भारी घरेलू दबाव के कारण भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी 10 नवंबर को स्पष्ट कर दिया था कि वह चोगम में हिस्सा नहीं लेंगे।
इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने शुक्रवार को राष्ट्रमंडल के 53 सदस्य देशों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि इस समूह के देशों की सामूहिक समस्याओं को उनके देश के मानवाधिकार रिकार्ड से अधिक महत्व दिया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने पिछले कुछ वर्षो में देश ने जिन चुनौतियों का सामना किया उनकी याद दिलाई और कहा कि आतंकवाद की समाप्ति महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसके कारण विकास की गति बढ़ी और गरीबी का स्तर घटकर 7.5 प्रतिशत हो गया।
राष्ट्रमंडल देशों के शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को याद करते हुए ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने अपील की है कि राष्ट्रमंडल देश आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाएं।
प्रिंस ऑफ वेल्स ने कहा, "श्रीलंका आधुनिक राष्ट्रमंडल के संस्थापक सदस्यों में से एक है। राष्ट्रमंडल देशों के इतिहासकार याद करेंगे कि उस समय की स्थितियों में राष्ट्रमंडल ने जुड़ाव की एक अद्भुत भावना को जाहिर किया था कि संगठन की स्थापना किस तरह की जानी चाहिए।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नेहरू ने (जिनका और मेरा जन्मदिन एक होने पर मुझे गर्व है) कहा था कि राष्ट्रमंडल दुनिया की समस्याओं का प्रबंधन करने और उन पर मरहम लगाने में सक्षम है।" उन्होंने कहा कि आज से 60 वर्ष पहले उन समस्याओं के बारे में बहुत कम पता था, जिन्होंने आज दुनिया को जकड़ लिया है।
उधर, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन युद्ध से तबाह श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्र में शुक्रवार को जैसे ही पहुंचे, हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनकी कार को घेर लिया।
वह यहां क्षेत्र के प्रथम तमिल मंत्री पूर्व न्यायाधीश सीवी विग्नेश्वर से मिलने पहुंचे थे। जाफना पहुंचने के बाद कैमरन के काफिले को 2009 में खत्म हुए गृहयुद्ध के दौरान लापता लोगों के परिजनों ने घेर लिया। उन्होंने एक शरणार्थी शिविर का भी दौरा किया जिसे श्रीलंका की सरकार कल्याण ग्राम कहती है। इस शिविर में 150 परिवार रहते हैं। गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे।
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