प्रतीकात्मक फोटो
पेरिस:
पेरिस में जलवायु परिवर्तन महासम्मेलन में भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। दो हफ्ते के इस सम्मेलन में पहला हफ्ता पूरा होने पर जो ड्राफ्ट स्वीकार किया गया है वह अमीर देशों के अड़ियल रवैये को दिखाता है।
जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे विकसित देश
अमीर देशों (अमेरिका, यूरोपीय देश, आस्ट्रेलिया, कनाडा इत्यादि) ने इस सिद्धांत को मानने से इनकार कर दिया है कि जिस देश ने जितना अधिक कार्बन वातावरण में छोड़ा है वह उतनी अधिक जिम्मेदारी ले। आज वातावरण में मौजूद 50 फीसद कार्बन के लिए अमेरिका और यूरोपीय यूनियन जिम्मेदार है। लेकिन अभी यह देश अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं और ऐतिहासिक रूप से किए गए प्रदूषण की बात नहीं कर रहे हैं।
ग्रीन फंड में पैसा देने में नानुकुर
इसके अलावा ग्रीन फंड में पैसा देने के नाम पर भी अमीर और विकसित देश बहानेबाजी कर रहे हैं। 2020 कर गरीब और विकासशील देशों के लिए 100 अरब डालर का फंड बनाया जाना था जिसमें नहीं के बराबर पैसा जमा हुआ है। अमेरिका ने तो इस फंड में एक पाई भी नहीं दी है। अब अमीर देश इस फंड में पैसा देने के लिए आर्थिक मंदी से पैदा हुए हालात की दुहाई भी दे रहे हैं।
नए ड्राफ्ट पर चर्चा सोमवार को
विकसित देश भारत से विकासशील कहलाने का विशेषाधिकार भी छोड़ने को कह रहे हैं। उनका कहना है कि ग्रीन फंड में भारत और चीन समेत सभी देशों को पैसा देना चाहिए। साफ है कि यह हालात भारत के लिए मायूस करने वाले हैं। अब इस नए ड्राफ्ट पर चर्चा सोमवार से होगी जहां 196 देशों के मंत्रियों को एक समझौते पर पहुंचना होगा। साफ है कि मौजूदा हालात में मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के लिए अगला हफ्ता सिरदर्दी भरा होगा।
जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे विकसित देश
अमीर देशों (अमेरिका, यूरोपीय देश, आस्ट्रेलिया, कनाडा इत्यादि) ने इस सिद्धांत को मानने से इनकार कर दिया है कि जिस देश ने जितना अधिक कार्बन वातावरण में छोड़ा है वह उतनी अधिक जिम्मेदारी ले। आज वातावरण में मौजूद 50 फीसद कार्बन के लिए अमेरिका और यूरोपीय यूनियन जिम्मेदार है। लेकिन अभी यह देश अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं और ऐतिहासिक रूप से किए गए प्रदूषण की बात नहीं कर रहे हैं।
ग्रीन फंड में पैसा देने में नानुकुर
इसके अलावा ग्रीन फंड में पैसा देने के नाम पर भी अमीर और विकसित देश बहानेबाजी कर रहे हैं। 2020 कर गरीब और विकासशील देशों के लिए 100 अरब डालर का फंड बनाया जाना था जिसमें नहीं के बराबर पैसा जमा हुआ है। अमेरिका ने तो इस फंड में एक पाई भी नहीं दी है। अब अमीर देश इस फंड में पैसा देने के लिए आर्थिक मंदी से पैदा हुए हालात की दुहाई भी दे रहे हैं।
नए ड्राफ्ट पर चर्चा सोमवार को
विकसित देश भारत से विकासशील कहलाने का विशेषाधिकार भी छोड़ने को कह रहे हैं। उनका कहना है कि ग्रीन फंड में भारत और चीन समेत सभी देशों को पैसा देना चाहिए। साफ है कि यह हालात भारत के लिए मायूस करने वाले हैं। अब इस नए ड्राफ्ट पर चर्चा सोमवार से होगी जहां 196 देशों के मंत्रियों को एक समझौते पर पहुंचना होगा। साफ है कि मौजूदा हालात में मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के लिए अगला हफ्ता सिरदर्दी भरा होगा।
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