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This Article is From Oct 15, 2014

चीन की भारत को हिदायत : सीमा पर स्थिति पेचीदा करने वाला कोई कदम न उठाएं

चीन की भारत को हिदायत : सीमा पर स्थिति पेचीदा करने वाला कोई कदम न उठाएं
बीजिंग:

चीन ने मैकमोहन रेखा के पास अरुणाचल प्रदेश में एक सड़क नेटवर्क का निर्माण किए जाने की भारत की योजना पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है और उम्मीद जताई है कि सीमा विवाद को खत्म कराने वाले किसी भी समाधान से पहले स्थिति को पेचीदा कर सकने वाला कोई कदम भारत नहीं उठाएगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'हमें ब्योरे को सत्यापित करने की जरूरत अभी भी है। चीन और भारत के बीच सीमा विवाद औपनिवेशिक अतीत की देन है। हमें इस मुद्दे से उचित रूप से निपटने की जरूरत है।'

वह गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजु के उस बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे थे जिसके तहत उन्होंने कहा था कि तवांग के मागो-थिंगबु से अरूणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के विजयनगर तक अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ एक सड़क नेटवर्क का निर्माण किए जाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।

होंग ने कहा, 'चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से के बारे में विवाद है। आखिरी समझौता होने से पहले हमें उम्मीद है कि भारत ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जो हालात को और पेचीदा बनाए।' उन्होंने बताया, 'हमें सीमावर्ती इलाके की शांति एवं स्थिरता की संयुक्त रूप से हिफाजत करनी चाहिए और सीमा विवाद के आखिरी समाधान के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करनी चाहिए।'

तिब्बत में चीन द्वारा सड़क, रेल और हवाई (अड्डा) नेटवर्क व्यापक रूप से विकसित किए जाने पर भारत ने चिंता प्रकट की है। चीन के ये बुनियादी ढांचे दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में सैनिकों और साजो सामान को तेजी से पहुंचाने में एक अहम भूमिका निभा सकता है। व्यापक राजमार्गों के अलावा चीन का रेल नेटवर्क सिक्किम सीमा के पास है और बीजिंग ने नयींगची तक एक नया रेल नेटवर्क बनाने की योजना की घोषणा की है। यह स्थान अरूणाचल सीमा के नजदीक है।

चीन ने तिब्बत क्षेत्र में कम से कम पांच हवाईअड्डों का निर्माण किया है।

बीजिंग का कहना है कि बुनियादी ढांचे का विकास तिब्बत के दूर दराज के इलाकों को विकसित करने की कोशिशों का हिस्सा है।

चीन अरूणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है। चीन का यह रुख है कि सीमा विवाद 2,000 किलोमीटर तक है जिसका ज्यादातर हिस्सा अरूणाचल प्रदेश से संबद्ध है जबकि भारत का कहना है कि विवाद सीमा के पश्चिमी ओर है जो करीब 4,000 किलोमीटर तक है। दोनों देशों ने सीमा विवाद के निपटारे के लिए विशेष प्रतिनिधि की 17 दौर की वार्ता की है। यह मुद्दा पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वार्ता में भी उठा था, जब चीनी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे।

हालांकि, दोनों नेता सीमा विवाद का शीघ्र हल किए जाने की कोशिश करने को राजी हुए थे।

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