ब्रिटेन के हाईकोर्ट (UK High Court ) ने भारत में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले के बाद फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Fugitive Diamond Businessman Nirav Modi) की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका नामंजूर कर दी है. नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक में 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी औऱ मनी लांड्रिंग केस में आरोपी है. 50 वर्षीय नीरव मोदी को ब्रिटेन में मार्च 2019 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह वांड्सवर्थ जेल में बंद है. ब्रिटेन की भारतीय मूल की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने 15 अप्रैल 2021 को उसे भारत प्रत्यर्पित किए जाने का आदेश दिया था.
लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज सैम गूजे ने 25 फरवरी को उसके खिलाफ आर्थिक धोखाधड़ी समेत सभी तरह के आऱोपों को सही पाया था और कहा था कि उसे भारत की कोर्ट में जवाबदेही के लिए प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए. भारत का कहना है कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके सहयोगियों ने पीएनबी के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर 14 हजार करोड़ रुपये से भी बड़ी धोखाधड़ी की है.
उसने लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) यानी बैंक गारंटी का गलत इस्तेमाल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े लेनदेन किए. जांच एजेंसियों ने पाया था कि बैंक गारंटी के जरिये हासिल की गई ये रकम शेल कंपनियों के जरिये और फर्जी निदेशकों के जरिये दुबई और हांगकांग से राउंड ट्रिप कर हासिल कर ली. नीरव मोदी पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ और गवाहों को धमकाने का भी आरोप है.
नीरव मोदी के खिलाफ याचिका ऐसे वक्त नामंजूर की गई है, जब भारत में वांछित कारोबारियों विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी की कुल 9,371 करोड़ की संपत्ति ईडी ने सरकारी बैंकों को सौंप दी है, ताकि उनके खिलाफ धोखाधड़ी के कारण हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. खबरों के अनुसार ईडी ने 8441.5 करोड़ रुपये की कुर्क संपत्तियां सरकारी बैंकों को दी हैं. इन्हें विजय माल्या, नीरव मोदी द्वारा की गई धोखाधड़ी के कारण हुए नुकसान की वसूली के दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है.गौरतलब है कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने सरकारी बैंकों को करीब 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाया और भारत से फरार हो गए.
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