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This Article is From Jul 17, 2012

'ओबामा नहीं चाहेंगे, 21वीं सदी के उद्योग चीन, भारत में हों'

'ओबामा नहीं चाहेंगे, 21वीं सदी के उद्योग चीन, भारत में हों'
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के एक शीर्ष सहयोगी ने ऋण गारंटी कार्यक्रम का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रपति कभी यह स्वीकार नहीं करेंगे कि 21वीं सदी के उद्योग चीन, भारत या यूरोप में हों।

ओबामा के साथ ओहायो की यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्ने ने संवाददाताओं से कहा, राष्ट्रपति कभी स्वीकार नहीं करेंगे कि 21वीं सदी के उद्योग चीन, यूरोप या अन्य कहीं हों। विपक्षी दल शीर्ष दानदाताओं के प्रशासनिक पद हासिल करने तथा सरकारी सहायता प्राप्त करने की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ओबामा की आलोचना करते रहे हैं। आलोचकों ने इस संदर्भ में उदाहरण देते हुए कहा कि ऊर्जा विभाग की ऋण गारंटी योजना का लाभ वैकल्पिक ऊर्जा कंपनियों को हुआ। इसका जवाब देते हुए कार्ने ने कहा कि इससे अमेरिका में अक्षय ऊर्जा उत्पादन दोगुना करने में मदद मिली।

उन्होंने कहा, उन्होंने अमेरिका में हजारों नौकरियां सृजित करने में मदद की। उन्होंने 21वीं सदी में प्रमुख उद्योगों में प्रतिस्पर्धा का आधार तैयार करने में सहायता की..। कार्ने ने दलील देते हुए कहा, 21वीं सदी स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के विकास और उसके इस्तेमाल पर केन्द्रित होगी। उन्होंने कहा, अत: आपके पास विकल्प है। आप या तो निवेश कर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे नौकरियां अमेरिका में सृजित हों या फिर आप न केवल तेल बल्कि स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी भी आयात करना चाहते हैं। राष्ट्रपति दूसरे विकल्प को नहीं अपनाना चाहते। कार्ने के अनुसार ओबामा का यह पुरजोर तरीके से मानना है कि अमेरिकी कंपनी एवं कर्मचारी चीन समेत दुनिया के किसी भी देश से कड़ी टक्कर लेने में सक्षम हों।

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