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जमात-ए-इस्लामी से ISI तक... बांग्लादेश में बवाल के ये 5 बड़े विलेन, भारत विरोधी भावनाएं भड़का रहे

Bangladesh Violence: बांग्लादेश में भड़की हिंसा के बीच ये संगठन भारत-विरोधी नैरेटिव को हवा दे रहे हैं. बांग्लादेश के चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर भी हिंसा देखने को मिली है.

जमात-ए-इस्लामी से ISI तक... बांग्लादेश में बवाल के ये 5 बड़े विलेन, भारत विरोधी भावनाएं भड़का रहे
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में भड़की हिंसा के बीच 5 'विलेन' पर नजर

बांग्लादेश में हिंसा भड़क उठी है. बांग्लादेश में ‘जुलाई विद्रोह' के एक प्रमुख छात्र नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की हत्या हो गई है और इसने बांग्लादेश में दंगाईयों को चिंगारी दे दी है. बांग्लादेश के कई शहरों में तोड़फोड़ के साथ आगजनी की जा रही है. दंगाईयों ने 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान के पैतृक घर को दोबारा आग लगा दी है. कई मीडिया आउटलेट्स को निशाना बनाया गया है. इस बीच कुछ ऐसे संगठन, राजनीतिक दल, नेता और दूसरे प्लेयर्स भी हैं जो इस मौके का इस्तेमाल करके भारत को निशाना बनाना चाहते हैं. 

ये संगठन भारत-विरोधी नैरेटिव को हवा दे रहे हैं. बांग्लादेश के चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर भी हिंसा देखने को मिली है. यहां कम से कम चार लोग घायल हुए हैं जिसमें 2 पुलिस वाले भी हैं. यहां बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती करनी पड़ी है.

चलिए आपको बांग्लादेश में भारत-विरोधी 5 चेहरों के बारे में यहां बताते हैं. समझाते हैं कि कैसे ये भारत का विरोध करके अपना फायदा करना चाहते हैं.

1- इंकलाब मंच

इंकलाब मंच अपदस्थ प्रधान मंत्री शेख हसीना की अवामी लीग को खत्म करने के अभियान में सबसे आगे था. जुलाई और अगस्त में छात्रों के नेतृत्व वाले हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को गिराने के बाद इंकलाब मंच अगस्त 2024 में एक कट्टरपंथी सांस्कृतिक और दबाव समूह के रूप में उभरा. उस्मान हादी इंकलाब मंच का एक वरिष्ठ नेता था. छात्र विद्रोह में भाग लेने के बावजूद, मुहम्मद यूनुस सरकार ने इंकलाब मंच को भंग कर दिया और उसे राष्ट्रीय चुनाव लड़ने से रोक दिया था. इसके बावजूद, हादी आगामी चुनावों के लिए एक उम्मीदवार था और ढाका -8 निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में प्रचार कर रहा था. इस संगठन का स्टैंड पूरी तरह भारत विरोधी रहा है.

2- जमात-ए-इस्लामी

जुलाई 2024 में हुए प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश तेजी से इस्लामी कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहा है. बांग्लादेश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं को अब जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों का विरोध झेलना पड़ रहा है. जमात-ए-इस्लामी के नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि महिलाओं को घर और परिवार पर अधिक ध्यान देना चाहिए और उन्हें कार्यस्थलों पर सीमित किया जाना चाहिए. इसके अलावा, महिला खिलाड़ियों के साथ हमले और उत्पीड़न की घटनाएं आम होती जा रही हैं. इस कट्टरपंथी संगठन को लगता है कि वास्तविक सत्ता उनके हाथों में है और वे जल्द ही शासन पर पूर्ण नियंत्रण की दिशा में बढ़ सकते हैं.

3- ISI

अपने देश में आतंकी संगठनों पर बैन लगाने वाला पाकिस्तान बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान बनाने में लगा हुआ है. हाल के दिनों में बांग्लादेश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की सक्रियता बढ़ी है. हाल ही में बांग्लादेश की ओर से आधिकारिक तौर पर कहा गया कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आईआरए) के पहले चरण का काम शुरू हो गया है. आईआरए को बांग्लादेशी सेना और डीजीआईएफ के स्थान पर लाया जा रहा है. इसका मुख्य कारण यह है कि यूनुस सरकार अपने लिए एक वफादार सेना चाहती है, जो उसके इशारे पर चले और देश के हित के लिए काम न करे. पाकिस्तान, बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट की स्थापना और लोगों से शरिया कानून का पालन करवाने पर जोर दे रहा है. यही कारण है कि आईआरए सदस्यों को ISI के लोग ट्रेनिंग दे रहे हैं. पाकिस्तान बांग्लादेश के कंधे पर बंदूक रखकर भारत पर निशाना साधने की कोशिश कर रहा है.

4- बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी

अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोक दिए जाने के बाद, लड़ाई बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के बीच सीधी लड़ाई है. BNP की कमान अभी अंतरिम अध्यक्ष तारिक रहमान के हाथों में है जो पूर्व पीएम बेगम खालिद जिया के बेटे हैं. खालिद जिया अभी काफी बीमार हैं और उनका इलाज चल रहा है. उनका स्टैंड अधिकतर भारत विरोधी रहा है लेकिन इसके बावजूद जमात की तुलना में BNP की सरकार भारत को पसंद आएगी. यहां चुनाव दो बुरे में से एक का है. ISI को डर है कि अगर BNP सत्ता में आई तो उसकी भूमिका सीमित हो जाएगी क्योंकि पार्टी भारत के साथ रिश्ते सुधारने पर विचार कर सकती है. पिछली BNP सरकार के तहत, संबंध तनावपूर्ण थे क्योंकि नई दिल्ली ने बांग्लादेश सरकार पर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए खतरा पैदा करने वाले चरमपंथियों को शरण देने का आरोप लगाया था. संकेत है कि BNP इसमें संशोधन करना चाहती है और भारत के साथ ठोस संबंध बनाना चाहती है.

5- हसनत अब्दुल्ला

भारत विरोधी बयानबाजी के लिए जाने जाने वाले बांग्लादेश की नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के नेता हसनत अब्दुल्ला ने हाल ही में भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण टिप्पणी की थी. उन्होंने बांग्लादेश को अस्थिर करने पर सेवन सिस्टर्स को अलग-थलग करने और पूर्वोत्तर अलगाववादियों को शरण देने की धमकी दी थी. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा को सामूहिक रूप से सेवन सिस्टर्स के रूप में जाना जाता है. असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम बांग्लादेश के साथ एक लंबी और पोरस भूमि सीमा साझा करते हैं.

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