संयुक्त राष्ट्र की जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा पहली बार हो रहा है जब अफगानिस्तान के आम नागरिक तालिबान एवं अन्य चरमपंथी समूहों की बजाए अमेरिका एवं सरकार समर्थित बलों के हाथों ज्यादा मारे गए हैं.
यह हिंसक आंकड़े तब आए हैं जब अमेरिका ने तालिबान के साथ शांति समझौते के लिए बल देने के साथ ही अफगानिस्तान में अपने हवाई अभियान को बढ़ा दिया है. वर्ष 2001 में तालिबान के खदेड़े जाने के बाद से अब देश के ज्यादा हिस्सों पर उसका नियंत्रण है या उसका प्रभाव यहां देखने को मिलता है.
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने अपनी तिमाही रिपोर्ट में कहा कि 2019 के शुरुआती तीन महीनों में अंतरराष्ट्रीय एवं सरकार समर्थित बल 305 आम नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार थे जबकि चरमपंथी समूहों ने 227 लोगों की जान ली.
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यूएनएएमए ने कहा कि इनमें से ज्यादातर मौत अमेरिकी हवाई हमलों या अमेरिका समर्थित अफगान बलों द्वारा जमीन पर चलाए गए तलाशी अभियानों के चलते हुईं.
रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें से कुछ ‘‘पूरी बेखौफी के साथ बेधड़क किए गए प्रतीत होते हैं.”
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इसमें कहा गया, “यूएनएएमए ने अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों एवं अंतरराष्ट्रीय सैन्य बलों से नागरिकों की मौत के आरोपों की जांच की, इन जांचों के परिणामों को प्रकाशित करने की अपील की और पीड़ितों को उचित मुआवजा देने को कहा.”
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यूएनएएमए ने अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थितियों के बीच नागरिकों की मौत के डेटा एकत्रित करना शुरू किया था.
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