कनाडा की प्रख्यात लेखिका एलिस मुनरो ने इस वर्ष का साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीत लिया है। उन्हें सिद्धहस्त कथा लेखिका के रूप में जाना जाता है।
स्वीडिश अकादमी के स्थायी सचिव पीटर एंग्लंड ने गुरुवार को पुरस्कार की घोषणा की।
82 वर्षीया मुनरो साहित्य का नोबेल जीतीने वाली 13वीं महिला हैं। सभी क्षेत्रों के पुरस्कारों को मिला दें तो वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाली 44वीं महिला हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नोबेल पुरस्कार की निर्णायक समिति ने मुनरो को 'समकालीन लघु कहानी का सिद्धहस्त रचनाकार' कहा है।
स्वीडिश अकादमी ने एक बयान में कहा कि वह सिद्धहस्त किस्सागो हैं उन्होंने पात्रों की रचना स्पष्टता और मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद के धरातल पर की।
मुनरो के कई कथा संग्रह प्रकाशित हैं जिनमें से प्रमुख हैं--हू डू यू थिंक यू आर(1978), द मूंस ऑफ जूपिटर(1982), रनवे(2004), द व्यू फ्रॉम कैसल रॉक(2006) और टू मच हैप्पीनेस(2009)।
अकादमी ने कहा, "आमतौर पर उनकी कहानियां छोटे शहर के परिवेश पर केंद्रित रही हैं। उन्होंने अपनी कथाओं में स्वीकृत सामाजिक परंपरा के कारण संबंधों के तनाव और संघर्ष एवं नैतिक प्रतिद्वंद्व के परिवेश को बखूबी अपनी कलम से लिपिबद्ध किया है। ये समस्याएं ऐसी हैं जो पीढ़ियों में मतभेद और महत्वकांक्षाओं के टकराव की वजह से जन्म लेती हैं।
पिछले साल चीनी लेखक मो यान को साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि नेबेल पुरस्कारों की घोषणा अमूमन अक्टूबर में की जाती है और यह 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में पुरस्कार विजेताओं को प्रदान किया जाता है। पुरस्कार के तहत प्रतीक चिह्न और लगभग 12 लाख डॉलर प्रदान किए जाते हैं।
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