अगर आप सोचते हैं कि शाकाहार की अवधारणा सिर्फ मनुष्यों में है तो आप बिल्कुल गलत हैं, क्योंकि एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि कुछ कीटभक्षी पौधे भी शाकाहार को अपना रहे हैं।
यूट्रीकुलारिया प्रजाति के ब्लाडरवर्ट्स पौधे कीटभक्षी पौधों की प्रजाति है, जो छोटे-छोटे कीटों का आहार करते हैं। नए अध्ययन से हालांकि पता चला है कि अब ये पौधे संतुलित पोषण के लिए शैवाल और पारगों का सेवन करने लगे हैं।
ये पौधे चूसक अंगों के द्वारा बिजली की तेजी से अपने शिकार को पकड़ लेते हैं और उन्हें निकल भागने से रोकने के लिए दरवाजे बंद कर देते हैं। एक बार फंस जाने के बाद कीट दम घुट जाने से मर जाते हैं, जिसके बाद पौधे उन्हें एंजाइम के रूप में विघटित कर पचा जाते हैं। शाकाहार अपनाने से पहले इन पौधों के आहार ग्रहण करने की यही प्रक्रिया रहती थी।
ऑस्ट्रिया के वियना विश्वविद्यालय की शोधकर्ता मारियाने कोलर पेरूटका और वोलफ्रेम एडलेसनिग के अनुसार, 'ब्लाडरवर्ट प्रजाति के पौधे शैवाल और पराग जैसे आहार की ओर झुक रहे हैं।'
शोधपत्रिका 'एनल्स ऑफ बॉटनी' के ताजा अंक में प्रकाशित इस शोध-पत्र के अनुसार, ऐसे इलाकों में जहां शैवाल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जबकि कीटों की कमी होती है वहां शाकाहारी पौधे कीटभक्षी पौधों की अपेक्षा आकार में बड़े पाए गए।
कीटों को आहार के रूप में लेने पर पौधों को भारी मात्रा में नाइट्रोजन मिलता है जो पौधों में शीतनिद्रा अंगों के विकास में बढ़ोतरी लाता है और जो बेहद सर्द मौसम में पौधों को जीवित रखने में मददगार साबित होता है।
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