- उत्तराखंड के जौनसार-बावर के कंदाड़ और इद्रोली गांवों ने शादी समारोहों में गहनों की संख्या सीमित करने का निर्णय
- महिलाओं को अब शादी और मांगलिक कार्यों में केवल कान की बाली, नथ और मंगलसूत्र पहनने की अनुमति होगी
- नियम का उल्लंघन करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, जिससे अधिक गहने पहनने पर रोक लगेगी
भारतीयों में खासकर हिंदुओं में सोने का महत्व बहुत है. शादियों, खास त्यौहारों, बच्चों के मुंडन संस्कार, पूजा और मांगलिक कार्यों के खास मौके पर महिलाएं सोने से बने आभूषण पहनती हैं. दुनिया में भारत ही अकेला ऐसा देश है, जहां सोने की खपत बेहद ज्यादा है. इसके अलावा पुरुष भी सोने के बने आभूषण पहनते हैं. लेकिन उत्तराखंड के जौनसार बाबर क्षेत्र के दो गांव ने एक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसे सुनकर सभी हैरान हैं. इस ऐतिहासिक निर्णय में उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र के कंदाड़ और इद्रोली गांवों ने शादी-समारोहों में महिलाओं के गहने पहनने पर सख्त नियम बनाए हैं. ग्राम पंचायत कंदाड की बैठक में सामाजिक निर्णय लिया गया, जिसमे कंदाड और इंद्रोली गांव की महिलाएं शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में सोने से बने सिर्फ तीन ही आभूषण पहनेंगी. अगर किसी ने फैसले का उल्लंघन किया, तो उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
सिर्फ ये गहने पहनने की इजाजत
एनडीटीवी की टीम ने जौनसार-बाबर के कंधार और इंद्रौली गांव पहुंची, जहां हाल ही में पंचायत ने शादी समारोह के दौरान महिलाओं द्वारा अत्यधिक गहने पहनने पर रोक लगाई है. स्थानीय पंचायत में लिए गए इस फैसले के तहत अब महिलाएं शादी समारोह में केवल आवश्यक गहने-जैसे कान की बाली, नथ (नाक का गहना) और मंगलसूत्र ही पहन सकेंगी. इसके अलावा अधिक गहनों का प्रदर्शन करने पर रोक लगाई गई है. पंचायत ने यह निर्णय समाज में बढ़ते दिखावे और आर्थिक असमानता को कम करने के उद्देश्य से लिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अक्सर शादी-ब्याह में परिवार सामाजिक दबाव के चलते अपनी सामर्थ्य से अधिक खर्च करते हैं, जिससे गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है.
बुजुर्ग महिला ने बताया क्या है मजबूरी!
एनडीटीवी टीम ने जब गांव की महिलाओं से बात की, तो उन्होंने इस निर्णय का समर्थन किया और कहा कि इससे समाज में समानता और सादगी का संदेश जाएगा. शादी-ब्याह के अवसरों पर गहनों का दिखावा बढ़ गया था. जिससे सामाजिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक असमानता की भावना फैल रही थी. परिवारों पर शादी के खर्चों का बोझ भी बढ़ने लगा था. इसी समस्या को देखते हुए दोनों गांवों ने मिलकर यह सख्त लेकिन सार्थक कदम उठाया है. गांव की बुजुर्ग महिला उमा देवी कहती हैं कि सोना बहुत महंगा हो गया है, हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम अपने बच्चों की शादी में सोना खरीद सकें. उमा देवी कहती है कि फैसला बहुत अच्छा है.

अब किसी से किसी की तुलना नहीं होगी
इंद्रौली गांव के अतर सिंह चौहान कहते हैं कि सोना काफी महंगा हो गया है. सोने की कीमतें काफी ज्यादा हो गई है आम व्यक्ति सोना नहीं खरीद पा रहा है. इसलिए दोनों ग्राम पंचायत ने जो फैसला लिया है. वह अच्छा फैसला है अतर सिंह कहते हैं कि जिसके पास ज्यादा पैसा है और अमीर व्यक्ति है वह तो सोना खरीद सकता है, लेकिन गांव में आम लोग और गरीब लोग रहते हैं. इसलिए ज्यादा गहने नहीं बना सकते हैं. अतर सिंह ने बताया कि कान के झुमके मंगलसूत्र और नाथ ही बना सकता है. इससे ज्यादा कोई नहीं बन सकता है. हम सब इस नियम से खुश हैं. अब कोई तुलना नहीं होगी कि किसने, कितने गहने पहने हैं. इससे शादियां सादगी से होंगी.

सोने के दाम इस वक्त आसमान छू रहे हैं. अब तक सोना अपने सबसे उच्चतम स्तर पर है 10 ग्राम लगभग 122000 के करीब पहुंच गया है और आम लोगों की पहुंच से अब सोना दूर होता जा रहा है. यही वजह रही कि अब शादी ब्याह में सोने के आभूषण बनाना टेडी खीर हो गया है. इसलिए गांव के बुजुर्गों और पंचायत सदस्यों ने भी कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य सामाजिक एकता बनाए रखना और अनावश्यक खर्चों को रोकना है.
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