सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हुए फ्लोर टेस्ट से हरीश रावत फिर मुख्यमंत्री बन गए हैं (फाइल फोटो)
- 11 मई को केंद्र ने राज्य से हटाया था राष्ट्रपति शासन
- 10 मई को हुए फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत को मिली थी जीत
- 27 मार्च को लगा था उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन
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नई दिल्ली:
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 24 अगस्त तक टल गई है। सुप्रीम कोर्ट यह सुनवाई करेगा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना सही था या नहीं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को उत्तराखंड विधनसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था और केंद्र ने 11 मई को राष्ट्रपति शासन हटा लिया था। इसके बाद हरीश रावत दोबारा मुख्यमंत्री बन गए थे। वहीं बागी विधायकों ने नैनीताल हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्पीकर के 9 बागियों के अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को सही ठहराया गया था।
उत्तराखंड में 10 मई को हुए फ्लोर टेस्ट के नतीजे का ऐलान सुप्रीम कोर्ट ने किया था। कोर्ट ने बताया था कि हरीश रावत के पक्ष में 33 विधायक थे और बीजेपी के पक्ष में 28 विधायकों ने अपना मत दिया। इसके बाद कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपने पैर पीछे खींचते हुए कहा था कि राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया जाएगा।
27 मार्च को लगाया गया था राज्य में राष्ट्रपति शासन
कांग्रेस के विधायकों के बागी रुख अपना लेने के बाद राज्यपाल ने हरीश रावत को 28 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा था, लेकिन उनके विश्वासमत हासिल करने के एक दिन पहले 27 मार्च को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। इसमें केंद्र सरकार को पहले हाई कोर्ट में फिर सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा था। कांग्रेस ने इस फैसले को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने इस निर्णय को अनुचित बताया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को उत्तराखंड विधनसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था और केंद्र ने 11 मई को राष्ट्रपति शासन हटा लिया था। इसके बाद हरीश रावत दोबारा मुख्यमंत्री बन गए थे। वहीं बागी विधायकों ने नैनीताल हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्पीकर के 9 बागियों के अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को सही ठहराया गया था।
उत्तराखंड में 10 मई को हुए फ्लोर टेस्ट के नतीजे का ऐलान सुप्रीम कोर्ट ने किया था। कोर्ट ने बताया था कि हरीश रावत के पक्ष में 33 विधायक थे और बीजेपी के पक्ष में 28 विधायकों ने अपना मत दिया। इसके बाद कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपने पैर पीछे खींचते हुए कहा था कि राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया जाएगा।
27 मार्च को लगाया गया था राज्य में राष्ट्रपति शासन
कांग्रेस के विधायकों के बागी रुख अपना लेने के बाद राज्यपाल ने हरीश रावत को 28 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा था, लेकिन उनके विश्वासमत हासिल करने के एक दिन पहले 27 मार्च को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। इसमें केंद्र सरकार को पहले हाई कोर्ट में फिर सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा था। कांग्रेस ने इस फैसले को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने इस निर्णय को अनुचित बताया था।
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