यूपी में तीन दिनों में 300 से अधिक अवैध बूचड़खाने सील कर दिए गए हैं.
                                                                                                                        - अवैध बूचड़खानों पर जमकर गिर रही प्रशासनिक कार्रवाई की गाज
 - सड़क पर मीट और मछली बेचने वालों को भी हटा रही पुलिस
 - बूचड़खाने चलाने वाले सरकार से कर रहे रोजगार की मांग
 
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के आते ही प्रशासन एकदम सक्रिय हो गया है. अवैध बूचड़खानों पर जमकर गाज गिर रही है. पिछले तीन दिनों में पूरे उत्तर प्रदेश में 300 से भी ज्यादा बूचड़खाने बंद करा दिए गए हैं. लखनऊ से लेकर हाथरस और मऊ से लेकर गोरखपुर तक हर जगह पुलिस सड़क पर मीट और मछली बेचने वालों को भी हटा रही है. दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भी लगभग 20 बूचड़खाने बंद कराए गए हैं. बूचड़खानों में काम कर करने वाले लोगों की मांग है कि सरकार उन्हें दूसरी जगह रोजगार दे या फिर बूचड़खाने चलाने का लाइसेंस दे. वे अब कोर्ट जाने की तैयारी कर हैं.
एनडीटीवी जमीनी स्थिति जानने के लिए गाजियाबाद के लोनी पहुंचा जहां बुधवार को कई अवैध बूचड़खाने बंद कराए गए हैं. जब हम लोनी में पिछले 12 साल से चल रहे अवैध बूचड़खाने तक पहुंचे तब तक पुलिस वहां आकर सील लगा चुकी थी. दीवार पर चीलें बैठी हुई थीं. शायद सोच रही होंगी कि कल तक इस दीवार के नीचे उन्हें खाने के लिए मिलने वाला मांस और मरे जानवर अचानक कहां गायब हो गए.
योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद से अधिकारी काफी व्यस्त हो गए हैं और बेहद सक्रिय भी. लोनी के एसडीएम प्रेमरंजन का कहना है कि "पूरे प्रदेश में ऐसी मुहिम चल रही है. कोई लिखित आदेश नहीं हुआ है, पर प्रशासन सख्त हो गया है. हम अवैध बूचड़खानों को ढूंढकर बंद कर रहे हैं."
हमारी 65 साल के महमूद कुरैशी से भी मुलाकात हुई. मंगलवार को उनके बूचड़खाने में भी ताला डाल दिया गया है. वह बताते हैं कि उनके बाप-दादा के जमाने से यही काम हो रहा था. वे कहते हैं कि अब काम बंद होने से शायद उनके बच्चे यह करने के लिए जिंदा ही न बचें, क्योंकि अब वे बेरोजगार हैं.
वहां कई और लोग मिले जो अपने लाइसेंस दिखाने लगे. बूचड़खानों के इन कामगारों का आरोप है कि पिछले 20 सालों से उनके लाइसेंस रिन्यू नहीं किए जा रहे थे. अचानक प्रशासन ने उनकी रोजी-रोटी छीन ली. खैर माहौल बनाना भी जरूरी है, लेकिन सवाल यही है कि अगर प्रशासन इतना ही चौकन्ना था तो यह अवैध बूचड़खाने पहले क्यों नहीं बंद कराए गए? क्यों नई सरकार बनते ही प्रशासन अति सक्रिय हो गया?
                                                                        
                                    
                                एनडीटीवी जमीनी स्थिति जानने के लिए गाजियाबाद के लोनी पहुंचा जहां बुधवार को कई अवैध बूचड़खाने बंद कराए गए हैं. जब हम लोनी में पिछले 12 साल से चल रहे अवैध बूचड़खाने तक पहुंचे तब तक पुलिस वहां आकर सील लगा चुकी थी. दीवार पर चीलें बैठी हुई थीं. शायद सोच रही होंगी कि कल तक इस दीवार के नीचे उन्हें खाने के लिए मिलने वाला मांस और मरे जानवर अचानक कहां गायब हो गए.
योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद से अधिकारी काफी व्यस्त हो गए हैं और बेहद सक्रिय भी. लोनी के एसडीएम प्रेमरंजन का कहना है कि "पूरे प्रदेश में ऐसी मुहिम चल रही है. कोई लिखित आदेश नहीं हुआ है, पर प्रशासन सख्त हो गया है. हम अवैध बूचड़खानों को ढूंढकर बंद कर रहे हैं."
हमारी 65 साल के महमूद कुरैशी से भी मुलाकात हुई. मंगलवार को उनके बूचड़खाने में भी ताला डाल दिया गया है. वह बताते हैं कि उनके बाप-दादा के जमाने से यही काम हो रहा था. वे कहते हैं कि अब काम बंद होने से शायद उनके बच्चे यह करने के लिए जिंदा ही न बचें, क्योंकि अब वे बेरोजगार हैं.
वहां कई और लोग मिले जो अपने लाइसेंस दिखाने लगे. बूचड़खानों के इन कामगारों का आरोप है कि पिछले 20 सालों से उनके लाइसेंस रिन्यू नहीं किए जा रहे थे. अचानक प्रशासन ने उनकी रोजी-रोटी छीन ली. खैर माहौल बनाना भी जरूरी है, लेकिन सवाल यही है कि अगर प्रशासन इतना ही चौकन्ना था तो यह अवैध बूचड़खाने पहले क्यों नहीं बंद कराए गए? क्यों नई सरकार बनते ही प्रशासन अति सक्रिय हो गया?
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                                        योगी आदित्यनाथ, Yogi Adityanath, यूपी, UP, उत्तर प्रदेश सरकार, UP Government, अवैध बूचड़खाने बंद, 300 Slaughter Houses Sealed