
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन करने का मतलब देशद्रोह की नींव पुख्ता करना है और आज का नया स्वतंत्र भारत ऐसे किसी देशद्रोही को स्वीकार करने को कतई तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने बहराइच जिले की मिहींपुरवा तहसील के मुख्य भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'बहराइच जनपद भारत की ऋषि परंपरा से जुड़ा हुआ है. कहते हैं महर्षि बालार्क का विश्व प्रसिद्ध आश्रम बहराइच में था. उन्हीं बालार्क ऋषि के नाम पर बहराइच की पहचान थी. बहराइच वही ऐतिहासिक भूमि है, जहां पर एक विदेशी आक्रांता को धूल धूसरित करते हुए महाराज सुहेलदेव ने भारत की विजय पताका को दिग्दिगंत तक पहुंचाया था.'
स्वीकार करने को तैयार नहीं
योगी ने मुस्लिम सूफी संत सैयद सालार मसूद गाजी को 'विदेशी आक्रांता' बताते हुए कहा, 'महाराजा सुहेलदेव ने विदेशी आक्रांताओं के साथ जो शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया था, उसी की परिणति थी कि 150 वर्षों तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं कर सका था.' आदित्यनाथ ने कहा 'एक तरफ एक भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार करने को पूरा देश एकजुट है. मैं सभी प्रदेश वासियों से कहना चाहूंगा कि जब भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा का गुणगान पूरी दुनिया में हो रहा है, तब भारत के महापुरूषों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव हर नागरिक का दायित्व होना चाहिए. उन स्थितियों में किसी भी आक्रांता का महिमामंडन नहीं करना चाहिए.' उन्होंने कहा 'आक्रांता का महिमामंडन मतलब देशद्रोह की नीव को पुख्ता करना. स्वतंत्र भारत ऐसे किसी देशद्रोही को स्वीकार नहीं कर सकता जो भारत के महापुरूषों को अपमानित करता हो और उन आक्रांताओं को महिमामंडित करता हो, जिन्होंने भारत की सनातन संस्कृति को रौंदने व बहन बेटियों की इज्जत पर हाथ डालने, हमारी आस्था पर प्रहार करने का काम किया था. उसे आज का यह नया भारत कतई स्वीकार करने को तैयार नहीं है.'
गौरतलब है कि संभल में सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर नेज़ा मेला लगाया जाता था, जिसे इस बार प्रशासन ने यह कहते हुए रोक दिया है कि विदेशी आक्रांताओं के नाम पर कोई मेला लगने नहीं दिया जाएगा. गाजी के नाम पर मुख्य मेला हर साल बहराइच शहर के दरगाह शरीफ में कई दशकों से लगता आ रहा है. संभल में नेजा मेले पर रोक के बाद बहराइच के कथित हिंदूवादी संगठनों ने यहां पर हर साल ज्येष्ठ माह में लगने वाले दरगाह शरीफ मेले पर रोक लगाने की मांग शुरू कर दी है.
बहराइच को पहचान से वंचित किया
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा, 'विकास की गाथा आगे बढ़ाने के लिए हम अपनी विरासत को पूरे गौरव के साथ आगे बढ़ा रहे हैं. विरासत और विकास की अद्भुत गाथा का नया रूप बहराइच है. यहां मेडिकल कालेज बन गया है, हमने बहराइच बाईपास स्वीकृत किया है, नेपाल से कनेक्टिविटी को आसान कर दिया है. कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग को पर्यटन की दृष्टि से ‘ईको टूरिज्म' के एक नये केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. बहराइच में महाराजा सुहेलदेव का विजय स्मारक बनकर तैयार है, इसका जल्द ही लोकार्पण होगा.' उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, 'बहराइच को इसकी पहचान से वंचित करने का प्रयास हुआ, इसलिए पिछली सरकारों ने घोषणाएं तो कीं लेकिन कार्य नहीं पूरे कराए. वर्ष 2017 में जब प्रदेश में भाजपा की ‘डबल इंजन' सरकार आई थी तब वरासत, नामांतरण, लैंड यूज, बंटवारा व पैदाइश जैसे 33 लाख से अधिक राजस्व वाद लंबित पड़े थे. पिछली सरकारों के निकम्मेपन से बेईमानों व भ्रष्टाचारियों का बोलबाला था.' आदित्यनाथ ने दावा किया, 'हम लोगों ने राजस्व संहिता तैयार करके एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल, जिस स्तर पर भी वाद लंबित हो उसकी समय सीमा व जवाबदेही तय की. सरकार की कार्रवाई से ‘एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स' द्वारा 64 हजार एकड़ भूमि को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराया गया.'
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