
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रहने वाले 128 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का शनिवार रात निधन हो गया. वह पिछले तीन दिनों से BHU में एडमिट थे. उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी. बाबा शिवानंद के अनुयायी विदेश तक हैं. सभी को सूचना दे दी गई है. उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए दुर्गाकुंड स्थित उनके आश्रम में रखा गया है. सोमवार को अंतिम संस्कार किया जा सकता है.
तीन साल पहले उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. प्रयागराज महाकुंभ में शिवानंद बाबा का कैंप लगा था. उन्होंने कुंभ में पहुंचकर स्नान भी किया था. शिवानंद बाबा के आधार कार्ड पर जन्मतिथि 8 अगस्त 1896 दर्ज है. उनका जन्म अविभाजित बंगाल के श्रीहट्टी जिले में हुआ था.
पद्मश्री से सम्मानित योग साधक स्वामी शिवानंद बाबा पिछले 100 साल से हर कुंभ (प्रयागराज, नासिक, उज्जैन, हरिद्वार) में शामिल होते रहे थे. बाबा के शुरुआती जीवन के बारे में कुंभ में बेंगलुरु से पहुंचे उनके शिष्य फाल्गुन भट्टाचार्य ने बताया था कि बाबा का जन्म एक भिखारी परिवार में हुआ था. चार साल की उम्र में इनके मां बाप ने इन्हें गांव में आए संत ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया था ताकि इन्हें खाना पीना मिल सके.
उन्होंने बताया कि छह साल की उम्र में बाबा को संत ने घर जाकर अपने मां-बाप के दर्शन करने को कहा था. लेकिन घर पहुंचने पर त्रासदीपूर्ण घटनाएं हुईं थी. घर पहुंचने पर बहन का देहांत हो गया था और एक सप्ताह के भीतर एक ही दिन मां बाप दोनों चल बसे थे.
भट्टाचार्य ने बताया था कि बाबा ने एक ही चिता में मां-बाप का दाह संस्कार किया। उसके बाद से संत ने ही इनका पालन पोषण किया था.
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