अनवरत बारिश के कारण वाराणसी शहर बदहाल हो गया है.
- सड़कों पर की गई खुदाई बारिश में बनी मुसीबत
- सड़क के गड्ढों में पानी भरने से हो रहीं दुर्घटनाएं
- शहर के निचले इलाकों में बुनकरों के करघे डूबे
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वाराणसी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा बनारस से जुड़ी हुई है लेकिन बारिश ने उनके इस संसदीय क्षेत्र का बुरा हाल कर दिया है.
सोमवार से बनारस में बादलों के दिल इस तरह पसीजे कि उनका टूटकर बरसाना रुक ही नहीं रहा है. सोमवार को दिन भर पानी तो बरसा ही रात में भी बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया. मंगलवार की सुबह थोड़ी देर पानी जरूर थमा रहा लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा बादल अपने साथ लाए पानी से शिव की नगरी काशी का जलाभिषेक करने लगे. लगातार हो रही इस बारिश से शहर के कई इलाके जलमग्न हो गए.
शहर में सड़कों का हाल बुरा रहा. कई जगह खुदाई की वजह से बने गड्ढे पानी के लिए पनाहगाह बन गए जिससे लोगों को खासी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. दोपहिया वाहन उसमें फंस रहे हैं और लोग फिसलकर गिर रहे हैं. कई जगह बड़ी गाड़ियां भी इन गड्ढों की शिकार बन गईं. इसकी वजह से शहर में हर तरफ घंटों जाम लगा रहा. 
सडकों पर गड्ढों की बढ़ी वजह सीवर, जलकल और अंडर ग्राउंड केबलिंग की वजह से की गई खुदाई है. इन गड्ढों को सावन की वजह से भर तो दिया गया था लेकिन इनकी भराई ठीक नहीं थी लिहाजा सड़कें फिर खराब हो गईं. शहर के लक्सा, गोदौलिया, मैदागिन, लहुराबीर, पांडेपुर, अर्दली बाजार कामक्छ इलाकों में प्रमुख रूप से सड़कें बदहाल हैं.
गोदौलिया पर तो हाल ही में जलकल विभाग ने खुदाई कर पाइपलाइन डाली थी. वहां तकरीबन 15 फुट सड़क ही धंस गई. गनीमत यही रही कि जिस वक्त वह धंसी उसकी चपेट में कोई नहीं आया. नहीं तो बड़ा हादसा हो जाता.
बारिश से प्रशासन के सारे दावे जल जमाव में डूब गए. हर सड़क पर पानी ही पानी नजर आ रहा है. शहर में बुनकरों के निचले इलाके में तो घरों के अंदर पानी चला गया है जिससे उनके करघे भी डूब गए हैं. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां के लोगों को लग रहा था कि उनके अच्छे दिन आ जाएंगे लेकिन बारिश ने उनकी उम्मीदों को धो डाला है.
VIDEO : बनारस की गली-चौराहों पर है जीएसटी की चर्चा
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी यह हालात 29 तारीख तक बने रह सकते हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल और राजस्थान में कम दबाल का क्षेत्र बना हुआ है जिससे साइक्लोनिक सर्कुलेशन और बंगाल की खाड़ी से नम हवाएं आ रही हैं. कहने का मतलब यह है कि अभी कुछ और दिन पीएम के शहर बनारस के लोगों का हाल पानी से बेहाल रहने वाला है. और यह हाल तब है जब तीन साल पहले ही काशी को क्योटो बनाने के बड़े-बड़े दावे किए गए.
सोमवार से बनारस में बादलों के दिल इस तरह पसीजे कि उनका टूटकर बरसाना रुक ही नहीं रहा है. सोमवार को दिन भर पानी तो बरसा ही रात में भी बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया. मंगलवार की सुबह थोड़ी देर पानी जरूर थमा रहा लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा बादल अपने साथ लाए पानी से शिव की नगरी काशी का जलाभिषेक करने लगे. लगातार हो रही इस बारिश से शहर के कई इलाके जलमग्न हो गए.
शहर में सड़कों का हाल बुरा रहा. कई जगह खुदाई की वजह से बने गड्ढे पानी के लिए पनाहगाह बन गए जिससे लोगों को खासी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. दोपहिया वाहन उसमें फंस रहे हैं और लोग फिसलकर गिर रहे हैं. कई जगह बड़ी गाड़ियां भी इन गड्ढों की शिकार बन गईं. इसकी वजह से शहर में हर तरफ घंटों जाम लगा रहा.

सडकों पर गड्ढों की बढ़ी वजह सीवर, जलकल और अंडर ग्राउंड केबलिंग की वजह से की गई खुदाई है. इन गड्ढों को सावन की वजह से भर तो दिया गया था लेकिन इनकी भराई ठीक नहीं थी लिहाजा सड़कें फिर खराब हो गईं. शहर के लक्सा, गोदौलिया, मैदागिन, लहुराबीर, पांडेपुर, अर्दली बाजार कामक्छ इलाकों में प्रमुख रूप से सड़कें बदहाल हैं.
गोदौलिया पर तो हाल ही में जलकल विभाग ने खुदाई कर पाइपलाइन डाली थी. वहां तकरीबन 15 फुट सड़क ही धंस गई. गनीमत यही रही कि जिस वक्त वह धंसी उसकी चपेट में कोई नहीं आया. नहीं तो बड़ा हादसा हो जाता.
बारिश से प्रशासन के सारे दावे जल जमाव में डूब गए. हर सड़क पर पानी ही पानी नजर आ रहा है. शहर में बुनकरों के निचले इलाके में तो घरों के अंदर पानी चला गया है जिससे उनके करघे भी डूब गए हैं. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां के लोगों को लग रहा था कि उनके अच्छे दिन आ जाएंगे लेकिन बारिश ने उनकी उम्मीदों को धो डाला है.
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मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी यह हालात 29 तारीख तक बने रह सकते हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल और राजस्थान में कम दबाल का क्षेत्र बना हुआ है जिससे साइक्लोनिक सर्कुलेशन और बंगाल की खाड़ी से नम हवाएं आ रही हैं. कहने का मतलब यह है कि अभी कुछ और दिन पीएम के शहर बनारस के लोगों का हाल पानी से बेहाल रहने वाला है. और यह हाल तब है जब तीन साल पहले ही काशी को क्योटो बनाने के बड़े-बड़े दावे किए गए.
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