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दिल्ली ब्लास्ट के बाद एटीएस ने मदरसों के शिक्षकों और छात्रों की मांगी जानकारी, प्रयागराज का है यह हाल

दिल्ली ब्लास्ट के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस सक्रिय हो गई है. एटीएस की प्रयागराज यूनिट ने जोन में आने वाले जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजकर उनके इलाके के मदरसों, उनमें पढ़ने वाले छात्रों और उनमें पढ़ाने वाले शिक्षकों की जानकारी मांगी है.

दिल्ली ब्लास्ट के बाद एटीएस ने मदरसों के शिक्षकों और छात्रों की मांगी जानकारी, प्रयागराज का है यह हाल
प्रयागराज:

दिल्ली में हुई आतंकी घटना के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की आतंकवाद विरोधी दस्ता भी सक्रिय हो गया है. एटीएस की प्रयागराज जोन की यूनिट ने सभी जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से उनके इलाके में आने मदरसों के छात्रों, मौलवियों की रिपोर्ट मांगी है. प्रयागराज के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट एटीएस को भेज दी है. उनकी रिपोर्ट के मुताबिक जिले में कुल 206 मदरसे चल रहे हैं. इनमें से 43 को राज्य सरकार से वित्तीय मदद मिलती है तो 169 को सरकार कोई मदद नहीं देती है. अनुदान लेने वाले मदरसों में 620 शिक्षक पढ़ाते हैं तो 11 हजार 378 बच्चे पढ़ाई करते हैं.

किन जिलों से मांगी गई है जानकारी

एटीएस प्रयागराज यूनिट के तहत आने वाले प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट , महोबा के मदरसों के बारे में संबंधिक जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से जानकारी मांगी है. उनसे मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों और पढाने वाले मौलवियों के जानकारी मांगी गई है. इसके साथ ही मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के नाम, पिता का नाम,पता और मोबाइल नंबर की जानकारी मांगी गई है. 

प्रयागराज के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कृष्ण मुरारी ने बताया कि प्रयागराज जिले की सूचना एटीएस को दे दी गई है.सूचना मिलने के बाद एटीएस ने अपने स्तर पर मदरसों की जांच भी शुरू कर दी है. अधिकारी के मुताबिक प्रयागराज जिले में कुल 206 मदरसे चल रहे हैं. इनमें से 43 मदरसे ऐडेड हैं तो 169 मदरसों को सरकार से कोई वित्तीय मदद नहीं मिलती है. अनुदानित मदरसों में 620 शिक्षक कार्यरत है. इस अनुदादित मदरसों में 11 हजार 378 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. 

मान्यता प्राप्त मदरसों में कितने छात्र पढ़ते हैं

अधिकारी के मुताबिक मान्यता प्राप्त मदरसों में 854 शिक्षक और 14 हजार पांच सौ 51 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. कई मदरसों में छात्रों के साथ छात्राएं भी दीनी (धर्म) तालीम हासिल कर रही हैं.

मदरसे में कक्षा 5 तक के बच्चों को पढ़ने वाले शिक्षकों को तैतानिया, आठवीं तक के बच्चों को पढ़ने वाले बच्चों को फौकानिया कहते हैं. इसी तरह से नौंवी और दसवीं तक के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को आलिया और 11वीं और 12वीं के बच्चों को पढ़ने वाले शिक्षकों को आलिम कहा जाता है.वहीं ग्रेजुएशन स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को कामिल और पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को फाजिल कहते हैं. हालांकि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कामिल और फाजिल को असंवैधानिक बताया था. 

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